डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में धार्मिक आयोजन का विवाद: छात्रों का विरोध जारी

जन एक्सप्रेस/ लखनऊ: डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में एक धार्मिक आयोजन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने इस आयोजन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ और संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है। छात्रों का तर्क है कि यह आयोजन भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देता है।
छात्रों ने दावा किया कि विश्वविद्यालय परिसर में इस धार्मिक अनुष्ठान (सुंदरकांड ) का आयोजन किया गया जो संविधान के अनुच्छेद 28, 15 और 25 का स्पष्ट उल्लंघन है।
– अनुच्छेद 28 सरकारी संस्थानों में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि पर रोक लगाता है।
– अनुच्छेद 15 धर्म, जाति और भाषा के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
– अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता को सार्वजनिक व्यवस्था और अन्य नागरिकों के अधिकारों के अधीन रखता है।
छात्रों की आपत्तियां और प्रशासन की चुप्पी
इस धार्मिक आयोजन का विरोध कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि इस आयोजन की प्रक्रिया के दौरान दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम वर्ग के छात्रों को अपमानित किया गया, जिससे विश्वविद्यालय का शांतिपूर्ण वातावरण प्रभावित हुआ। छात्रों ने यह भी दावा किया कि इस आयोजन के पीछे विश्वविद्यालय में सक्रिय संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा रहा है।
छात्रों का कहना है कि इस तरह के आयोजन न केवल उनकी पढ़ाई और परीक्षा को बाधित करते हैं, बल्कि विश्वविद्यालय की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी नुकसान पहुंचाते हैं। छात्रों ने कुलपति, कुलसचिव, अनुशासन विभाग और पुलिस प्रशासन से आयोजन को तत्काल रोकने की गुहार भी लगाई थी लेकिन फिर भी आयोजन जारी रहा।
आयोजन जारी, छात्रों का असंतोष बढ़ा
प्रशासन द्वारा छात्रों की मांगों पर कोई संतोषजनक कार्रवाई न किए जाने के कारण धार्मिक आयोजन कर्ताओं का हौसला बढ़ा। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की मौजूदगी में रात में भी आयोजन जारी रहा ।
विवाद का व्यापक प्रभाव
इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय परिसर में असंतोष और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। छात्र इसे धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ एक गंभीर कदम मानते हैं।
प्रशासन की जिम्मेदारी
अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस विवाद को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से सुलझाने के लिए क्या कदम उठाएगा। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे अपने विरोध को और तेज करेंगे।
यह विवाद प्रशासनिक निष्क्रियता और छात्रों की बढ़ती नाराजगी का प्रतीक बन चुका है। स्थिति को संभालने के लिए त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई की आवश्यकता है।