उत्तराखंड

मौसम के बीच दरकते पहाड़ चारधाम यात्रियों के लिए बन रहे मुसीबत

देहरादून । मौसम की मार अब चारधाम यात्रियों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। बारिश और बर्फबारी के बीच दरकते पहाड़ और सड़कों पर आया मलबा का सैलाब तीर्थयात्रियों और वाहनों के लिए खतरा बन रहा है। इसके साथ ही साथ कई अन्य समस्याएं भी सिर उठाकर खड़ी हो गई हैं। चार धामों की व्यवस्था चरमरा गई है। शासन-प्रशासन की रोकथाम और अपील के बाद भी भारी संख्या में यात्री धामों में पहुंच रहे हैं।

राज्य में लगातार हो रही बारिश, ओलावृष्टि और बर्फबारी का क्रम जारी है। इसके कारण अब भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई है। बात चाहे गंगोत्री हाइवे की हो जहां गंगनानी के पास सड़क पर आया मलबा और कीचड़ से आवाजाही मुश्किल हो गई और जाम लगा रहता है अथवा यमुनोत्री हाइवे की बात हो जहां डबरकोट के पास ऐसा भूस्खलन जोन बन गया है। अब इन क्षेत्रों में कई-कई घंटे तक मार्ग अवरुद्ध रहता है और कई किलोमीटर लंबे जाम में यात्री फंसे रहते हैं। जानकीचटृी से लेकर यमुनोत्री तक का सफर अत्यंत ही दूभर हो चुका है। केदारनाथ धाम जाने वाले यात्रियों को सोनप्रयाग से लेकर गौरीकुंड और धाम तक जिस तरह के कठिन मार्ग से गुजरना पड़ रहा है, वह जान जोखिम में डालने से कम नहीं है।

आपदा नियंत्रण विभाग के अनुसार तवाघाट लिपुलेख मार्ग पर भारी भूस्खलन हुआ है, जिसके कारण चीन के सीमा को जोड़ने वाली सड़क काफी अस्त-व्यस्त हो गई है। भारी भूस्खलन के कारण आदि कैलाश की यात्रा भी प्रभावित हो रही है। यह तीसरी बार है, जब इस मार्ग पर भूस्खलन के कारण यातायात बंद हुआ है। यहां आवाजाही ठप होने से मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। बीआरओ की टीम रास्ता खोलने में जुटी हुई है। यही नहीं देहरादून से लेकर चमोली तक और मसूरी तक बारिश और आंधी तूफान से तबाही मची हुई है। मसूरी-कैम्पटी रोड पर पहाड़ से आए पानी और मलबे के कारण इस रोड पर आना जाना मुश्किल हो गया है।

शासन-प्रशासन की तमाम व्यवस्थाएं ध्वस्त हो रही हैं, लेकिन इस काम में लगे कर्मी फिर से इन्हें चुस्त-दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। केदारनाथ धाम के लिए अब 15 जून तक के लिए रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए गए हैं।

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