उत्तर प्रदेशचित्रकूटहेल्थ

जिलाध्यक्ष ने किया सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 का शुभारंभ

अभियान का पहला चरण 12 अगस्त तक चलेगा, छूटे पाँच वर्ष तक के सभी बच्चों का होगा टीकाकरण

जन एक्सप्रेस/संवाददाता 

चित्रकूट। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) अंतर्गत जानकीपुरी वार्ड 12 पर सोमवार को सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई-5.0) के तहत पहले चरण का शुभारंभ चंद्रप्रकाश खरे (जिला अध्यक्ष बीजेपी), पंकज अग्रवाल, डॉ मुकेश पहाड़ी ने किया।

वार्ड 12 पर आयोजित किए गए नियमित टीकाकरण सत्र में जिला जिला अध्यक्ष द्वारा बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई। और एएनएम द्वारा साथ ही मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज़ भी लगाई गई। इसके अतिरिक्त समस्त 5 ब्लॉक स्तरीय सीएचसी-पीएचसी पर भी अभियान की शुरुआत की गई। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने कहा कि नियमित टीकाकरण अभियान में किसी कारणवश छूटे पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित करने के लिए अभियान का पहला चरण सोमवार से शुरू हुआ।

यह चरण 12 अगस्त तक चलेगा। जिला अध्यक्ष श्री खरे ने परिजनों से अपील की कि अपने घर के आसपास के परिजनों को बच्चे के टीकाकरण कराने के लिए पीएचसी-सीएचसी जाने के लिए प्रेरित करें। कोई भी बच्चा छूटा हो तो उसका टीकाकरण अवश्य कराएं। सभी टीके पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। टीका लगने के बाद सामान्य बुखार हो सकता है लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि आईएमआई 5.0 के पहले चरण के लिए जिले के छूटे पाँच वर्ष तक के लगभग 6300 बच्चों एवं 1500 गर्भवती का टीकाकरण के लिए लक्षित किया गया है। सोमवार को लगभग 113 टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए। अभियान में बच्चों को प्रमुख रूप से मीजिल्स-रूबेला का टीका लगाया जाएगा। साथ ही गर्भवती को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा।

यह टीका गर्भवती को दिये जाने से उनका व उनके गर्भस्थ शिशु का टिटनेस व डिप्थीरिया (गलघोंटू) रोग से बचाव करता है। इसके साथ ही बच्चों को 12 बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, डायरिया रोटा वायरस और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है। उन्होंने बताया कि आईएमआई 5.0 का दूसरा चरण 11 से 16 सितंबर और तीसरा चरण 9 से 14 अक्टूबर तक चलाया जाएगा।

 इस मौके पर यूनिसेफ डीएमसी दिलीप द्विवेदी, एसएमओ डॉ श्याम, नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक रूप नारायण, यूएनडीपी, एएनएम, आशा कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

पाँच साल – सात बार, टीका न छूटे एक भी बार – टीकाकरण एक सतत प्रक्रिया है जो कि जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक सम्पादित की जाती है। 

• जन्म के समय बच्चों को हेपेटाइटिस बी संक्रमण से बचाने के लिये एवं पोलियो वैक्सीन की जीरो डोज खुराक एवं बी०सी०जी० की वैक्सीन दी जाती है। 

• तत्पश्चात बच्चे की आयु डेढ़ माह, ढाई माह एवं साढ़े तीन माह होने पर डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, रोटा वायरस, डायरिया, हेपेटाइटिस बी, हेमेसिफिलस संक्रमण एवं न्यूमोकोकल वैक्सीन, न्यूमोकोकल इन्फेक्शन के संक्रमण से बचाने के लिये टीका लगाया जाता है। 

• इसके साथ ही नौ महीने की उम्र पूरी होने पर10वें महीने पर मीजिल्स-रूबेला की पहली डोज़ तथा 16-24 महीने पर मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज दी जाती है। 

• इसके बाद 16 से 24 माह पर डिप्थीरिया, काली खांसी एवं टिटनेस के संक्रमण से बचाव के लिये डी०पी०टी० वैक्सीन की बूस्टर डोज़।

• पुनः 05 वर्ष पूर्ण होने पर डी०पी०टी० की दूसरी बूस्टर खुराक दी जाती है। 

• किशोर एवं किशोरियों को 10 वर्ष एवं 16 वर्ष की उम्र पर डिप्थीरिया एवं टिटनेस से बचाव के टीके दिये जाते हैं।

डॉ पहाड़ी ने बताया कि इस प्रकार एक ही टीकाकरण के विभिन्न वैक्सीन देने का समय निर्धारित किया गया है। एवं बच्चे को सभी वैक्सीन मिल जाये इसके लिये उन्हें विभिन्न आयु पर 07 बार टीकाकरण केन्द्र के लिए ले जाना होता है।टीका लगवाने से मना/ इनकार करने वाले परिवारों पर विशेष प्रयास किया जाएगा, जिसके लिए अन्य विभाग एवं सहयोगी संस्थाएं भी सहयोग हेतु लगाई गई है।

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