चित्रकूट
चमरौहा रपटे में पुल न होने से बड़ी परेशानी, संकट में हजारों की जिंदगानी
नदी का बहाव कम नहीं हुआ तो बहने भाईयों को नहीं बांध पाएंगी राखी
ग्रामीणों ने कहा सरकार हमारा पुल बना दे भले न दे हमें सरकारी योजनाओं का लाभ
चित्रकूट। जन एक्सप्रेस
देश और प्रदेश की सरकारें बदलती रहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि भी बदलते रहे लेकिन पाठावासियों की दुर्दशा की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। बारिश के मौसम में मानिकपुर तहसील के पाठा क्षेत्र के चमरौहा, पयासी पुरवा, मऊ गुरदरी , रानीपुर, गुरदरी आदि कई गांव के हजारों ग्रामीणों की जिंदगी बेहद कठिन हो जाती है। सिर्फ इस लिए कि उक्त गांवों से निकली बरदहा नदी में पुल नही बना है। बरसात के तीन महीने दर्जनों गावों के हजारों लोगों का संपर्क मुख्यलय से पूरी तरह से कट जाता है। विगत कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से नदी उफान में होने से संपर्क पूरी तरह से कट गया है। बारिश अगर रात में हुई तो पूरी तरह से लोग कैद हो जाएंगे। नदी में तेज बहाव के कारण आरपार न हो पाने की वजह से बहने अपने भाइयों के कलाई में राखी भी नहीं बांध पाएंगी।
बदलती रही सरकारें,जनप्रतिधि भी बदले फिर भी नहीं बना पुल
प्रदेश और देश की सरकारें बदलती रही स्थानीय सांसद और विधायक भी बदले रहे लेकिन चमरौहा रपटे में पुल बनाने की ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया। सभी जनप्रतिनिधी इस समस्या से भलीभाती वाकिफ भी हैं, लेकिन सब आंख मूंदकर बैठे हैं। कई बार तो इस नदी में भारतीय जनता पार्टी के जिले के बड़े नेता वा सांसद विधायक भी फंस चुके हैं फिर भी कोई पहल नहीं की जा रही है। इसके बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने पुल निर्माण की जरूरत नहीं समझी। अगर डबल इंजन की सरकार में भी पुल का निर्माण नहीं हो पाया, तो अन्य सरकारों में असंभव ही है। जनता ने जिस विश्वास के साथ सांसद,विधायक को जिताया जनप्रतिधियों ने जनता को धोखा दिया है। जबकि इस पुल का बनना बेहद जरूरी है। इलाज के अभाव में कई ग्रामीणों की जानें भी जा चुकी है फिर भी जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
जनता ने दिया मौका, जनप्रतिनिधियों ने दिया धोखा
जनप्रतिनिधियों को जनता अपना मत देकर खूब मौका दिया। लगातर सांसद,विधायक भी रहे। लेकिन उन लोगों का ध्यान इस गम्भीर समस्या की ओर नहीं गया। जिले से विधायक,सांसद से लेकर राज्यमंत्री तक बने लेकिन किसी को भी ग्रामीणों के ऊपर तरस नहीं आया। क्षेत्र का विकास करने के बाजाय अपना विकास किया है। ऐसे ही कारणों के चलते करारी हार का सामना भी करना पड़ा।
पुल न होने से परेशानी,संकट में जिंदगानी
लोग भगवान से मनाते हैं कि बरसात में चार महीने कोई बीमारी मत आने देना, क्योंकि आवागमन का साधन न होने से लोग आनाजाना नहीं कर पाते। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में तो इलाज के अभाव में कई लोगों की मौत हो जाती है। कहा कि नदी में जब बाढ़ आ जाती है तो इसकी धार काफी तेज होती है। ऐसे में अति आवश्यक होने पर कई बार ग्रामीण नदी को पार करने का प्रयास करते हैं। ऐसे में अब तक कई ग्रामीणों कई मौत डूबने से हो चुकी है तो कइयों को समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ दिया है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार हमारा पुल निर्माण करा दे भले ही उन्हें कोई अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ न मिले। लंबे अर्से से पुल बनाने की चल रही मांग को लेकर अधिकारी भी इसके संबंध में कुछ बताने में खुद को असमर्थ बताते हैं। पुल बनने से ग्रामीणों का जीवन आसान हो सके।