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किसानों की सरकार से 12वीं बैठक भी बेनतीजा

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किसान बोले, मंत्रियों ने साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया, इसके बाद सरकारी प्रस्ताव मानने की बात कहकर मीटिंग खत्म कर दी

नई दिल्ली (एजेंसी)। किसानों और सरकार के बीच 12वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। बैठक के बाद किसानों ने कहा कि मीटिंग तो करीब पांच घंटे चली, लेकिन किसानों ने कहा कि मंत्रियों से आमने-सामने बातचीत 30 मिनट भी नहीं हुई। इस बार अगली मीटिंग के लिए भी कोई तारीख तय नहीं की गई है। बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के एसएस पंढेर ने कहा, ‘कृषि मंत्री ने हमें साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया। यह हमारा अपमान है। इसके बाद जब वे आए तो बोले कि सरकार की बात मान लीजिए। अब हम मीटिंग खत्म कर रहे हैं। अब हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जारी रखेंगे।

कृषि मंत्री बोले, जो प्रस्ताव दिया उससे बेहतर कुछ नहीं
केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा ही समाप्त हो गई। यहां तक कि इस बैठक में अगली बैठक को लेकर कोई तारीख तक तय नहीं हो सकी। ऐसे में साफ है कि अब दोनों पक्ष अपने स्थान से पीछे हटने को राजी होते नहीं दिख रहे हैं। बहरहाल, बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई; सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया, उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर कानूनों को फिलहाल लागू नहीं करने का जो प्रस्ताव किसानों को दिया गया है, उससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता है। वहीं दूसरी ओर किसान नेताओं ने कहा कि ये बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली हो, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है। इसके साथ ही कृषि मंत्री तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया; और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की।

सरकार ने कहा, हमारी तरफ से बेस्ट और आखिरी ऑफर था
अब सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि डेढ़ साल तक कानून को रोकने का प्रपोजल उनकी ‘आखिरी सीमाÓ थी। किसान नेताओं से इस प्रपोजल पर दोबार विचार करने को कहा गया है। सरकार की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया कि कानून में कोई कमी नहीं है। इसका स्पष्ट संदेश है कि सरकार कानून पर बिंदुवार चर्चा ही कर सकती है लेकिन कानूनवापसी का कोई सवाल नहीं है।

3 साल कानून होल्ड कराने की मांग का सुझाव भी आया
किसान नेताओं की बैठकों में यह चर्चा भी हुई कि सरकार को नया प्रस्ताव दिया जाए, जिसमें कानूनों को 3 साल तक होल्ड करने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में देने, प्रति एकड़ 3 लाख के एग्रीकल्चर लोन की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख करने, ब्याज दर पुरानी रखने और मृतक किसानों के परिजन को मुआवजा देने की मांग शामिल हो।

‘सरकार बस आंदोलन खत्म करवाना चाहती है
किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता एस एस पंढेर ने मीटिंग से पहले कहा, सरकार की स्ट्रैटजी हमें फंसाने की थी, यह मिठाई में जहर छिपाने जैसा था। सरकार चाहती है कि किसी भी तरह आंदोलन खत्म हो जाए। हमने सरकार का प्रपोजल नामंजूर कर दिया।

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े
किसान नेताओं की दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिस के साथ लगातार चौथे दिन मीटिंग की। इससे पहले तीन बैठकों में किसानों को मनाने की पुलिस की कोशिशें नाकाम रहीं। गुरुवार को किसानों ने कहा कि वे दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर ही ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। पुलिस ने इसकी मंजूरी देने से मना कर दिया। पुलिस ने कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर परेड निकालने की अपील की, लेकिन किसान नहीं माने। किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान तैयारी में जुटे हैं।

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