सरकार ने किया बड़ा ऐलान, चाबी काम नहीं करेगी तो टूटेगा ताला
भगवान जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी के पास स्थित ऐतिहासिक और रहस्यमय आध्यात्मिक स्थानों में से एक है। इस मंदिर के खजाने या रत्न भंडार में आभूषण और कीमती धातुएँ हैं लेकिन जगन्नाथ पुरी का खजाना कई दशकों से बंद है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रत्न भंडार को आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था और तब से यह बंद है। पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में संग्रहीत खजाना चार दशकों के अंतराल के बाद 14 जुलाई को खोला जाएगा। मोहन माझी सरकार द्वारा स्थापित एक उच्च स्तरीय समिति अंदर के कीमती सामानों की सूची बनाएगी।
कथित तौर पर दावा किया गया है कि इस रत्न भंडार में इतना खजाना है कि पूरे देश को दो साल तक मुफ्त खाना खिलाया जा सकता है। रत्न भंडार का खजाना कई देशों की अर्थव्यवस्था को कई सालों तक संभाल सकता है। इसमें बहुत सारे बहुमूल्य रत्न, सोना और चाँदी हैं। अंतिम उद्घाटन के समय, मंदिर के रत्न भंजर में 12,500 सोने के आभूषण थे, सभी कीमती पत्थरों से सजे हुए थे और 22,000 चांदी के टुकड़े थे। 2018 में कोर्ट ने ASI को जगन्नाथ पुरी मंदिर के रत्न भंडार की जांच करने का आदेश दिया था। जब टीम जांच के लिए पहुंची तो पता चला कि रत्न भंडार की चाबियां गायब हैं।
रत्न भंडार में संग्रहित मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने की निगरानी के लिए समिति का गठन किया गया था। रथ ने बताया कि सिफारिश मंदिर प्रबंध समिति को भेजी जाएगी, जो इसे मंजूरी के लिए ओडिशा सरकार को भेजेगी। हाल में संपन्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलना राज्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा था। समिति के सदस्यों की एक बैठक के बाद रथ ने कहा, ‘‘हमने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि समिति सरकार से 14 जुलाई को रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को फिर से खोलने का अनुरोध करेगी।’’ रथ ने बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक को इस बैठक के दौरान समिति के समक्ष रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी पेश करने के लिए कहा गया। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक समिति के सदस्य संयोजक भी हैं।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि डुप्लीकेट चाबी काम नहीं करेगी तो ताला तोड़कर रत्न भंडार को खोला जाएगा। आभूषणों की सूची बनाने और रत्न भंडार की मरम्मत के लिए आवश्यक कई मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) पर विस्तृत चर्चा की गई। रथ ने कहा, ‘‘नियमों के अनुसार, बैठक के विवरण मंदिर प्रबंध समिति को भेजे जाएंगे, जो इसे मंजूरी के लिए सरकार को भेजेगी। उसके बाद रत्न भंडार खोला जा सकेगा।