भारतीय संस्कृति में आर्यसमाज का अहम योगदान : डा. चौहान
हरिद्वार । आर्य समाज हिन्दुस्तान की आत्मा में प्राण का संचार करने वाला वह आन्दोलन है, जिसने एक ओर शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते हुए अन्धविश्वास , जातिगत भेदभाव को अस्वीकार कर सामाजिक जागरूकता का काम किया है। शिक्षा और राष्ट्रीयता को अपना समग्र जीवन देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का निर्माण किया।
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के सह-आचार्य डा. शिवकुमार चौहान ने आर्य समाज स्थापना दिवस के 148 वर्ष पूर्ण होने पर महिला सशक्तिकरण और नारी शिक्षा विषय पर छात्र कार्यशाला में यह बात कही। उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल 1875 को आर्य समाज की स्थापना बंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी, जिसके 148 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आज देश में नारी सशक्तिकरण के लिए अनेक मुहिम और अभियान गतिमान है, लेकिन नारी शिक्षा से ही समृद्ध देश और समाज का निर्माण हो सकता है। यह विचारधारा लागू करने की मुहिम का मूल भी आर्य समाज है