वायरल

रूस के तेल बाजार का बड़ा खिलाड़ी बना भारत

Listen to this article

रूस के तेल बाजार पर एक दौर में चीन का सिक्का चलता था। रूसी तेल के बड़े खरीदारों में उसकी गिनती होती रही है। इसके साथ ही यूरोप भी रूस के तेल का सौदागर रहा है। लेकिन यूक्रेन जंग ने दुनिया के हालात पूरी तरह से बदल दिए हैं। रूस का तेल बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा है। इन सब के बीच रूस के तेल बाजार में भारत की एंट्री हो गई है। यहां चीन की हवा निकालने के लिए पहुंच गया है। यूक्रेन हमले के बाद भारत रूसी एनर्जी के एक बड़े खरीदार के रूप में सामने आया है। रूस के तेल मार्केट में भारत की एंट्री ने चीन के प्रभुत्व को सीधी चुनौती दे दी है।

व्यापारियों और शिपब्रोकर्स के अनुसार अगस्त में दक्षिण एशियाई राष्ट्र में ईएसपीओ के रूप में जाने वाले रूसी कच्चे तेल के छह जहाजों को रिफाइनर की ओर ले जाया गया था। यह स्ट्रीम शुरू होने के बाद से भारत द्वारा खरीदे गए कार्गो की संख्या सबसे अधिक है, जो कि उपलब्ध मासिक शिपमेंट का लगभग पांचवां हिस्सा है। ईएसपीओ क्रूड अब भारत के लिए एक स्थिर प्रवाह बन रहा है। वोर्टेक्स लिमिटेड के विश्लेषक एम्मा ली ने कहा कि भारत में ईसीपीओ क्रूड तेजी से पहुंच रहा है। रूस भारत को आकर्षक कीमतों पर तेल का निर्यात कर रहा है। इस कारोबार पर रोक लगाने के लिए किसी तरह की कोई बंदिश भी नहीं है।

यूक्रेन युद्ध के बीच भारत रूसी ऊर्जा के एक प्रमुख खरीदार के रूप में उभरा है। यूरोप और अमेरिका देशों ने इसके मद्देनजर लाखों बैरल रियायती कच्चे तेल से किनारा किया। जैसे-जैसे संघर्ष आगे बढ़ा, तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत ने रूस के पश्चिमी हिस्से से उरल्स क्रूड की खरीद तेज कर दी। जिसके बाद अब ईएसपीओ को खरीद रहा है। यूरल्‍स रूस का फ्लैगशिप क्रूड है। वहीं, ईएसपीओ ज्‍यादा रिफाइन किया हुआ ग्रेड है। यह पूर्वी हिस्‍से से आता है। इस तेल का मुख्‍य तौर पर चीन खरीदार रहा है। व्यापारियों और शिपब्रोकर्स ने कहा कि भारत मध्य पूर्वी देशों से जिस कीमत पर तेल खरीदता है, ईएसपीओ की कीमत उसकी तुलना में सस्ते हैं। संभवतः सऊदी अरब और अबू धाबी से आयात कुछ कम होंगे। उन्होंने कहा कि हाल ही में चीन के सिनोपेक ईएसपीओ की बड़ी खरीदार रही है। हाल ही में उसकी खरीद में कुछ कमी आई है। इसने भारतीय खरीदारों को रूसी ऑयल मार्केट में एंट्री करने का मौका दे दिया है। ईएसपीओ के अगस्त शिपमेंट का आयात जुलाई के मुकाबले ज्यादा रहा है। रूस से आए पांच कार्गो वाडीनार, सिक्का, पारादीप और मुंद्रा जैसे बंदरगाहों पर गए थे। इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के साथ ही निजी प्रोसेसर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी लिमिटेड के प्लांट इन्हीं टर्मिनलों के पास हैं। इस साल की होड़ से पहले, भारत रूसी तेल व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी नहीं था।

Show More

Related Articles

Back to top button