कानपुरदेश

कानपुर: करोड़ों का घोटाला करने वाली कुलपति पर कब होगी कार्रवाई ?

Listen to this article

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा शिकायत करने पर मुख्यमंत्री के यहां भेजा गया था शिकायती पत्र

जन एक्सप्रेस/कमलेश फाईटर

कानपुर नगर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की कुलपति ने करोड़ों रुपए के घोटाले को चुटकियों में कर दिया। चाहे वह पार्किंग को लेकर हो या फिर शिक्षक भर्ती या बिल्डिंग स्ट्रक्चर या पेंशन घोटाला या फिर शासन को धोखा देकर विश्वविद्यालय में नियम कानूनों को ताक पर रखकर रजिस्ट्रार की नियुक्ति का घोटाला हो।

जन एक्सप्रेस अखबार विश्वविद्यालय के घोटालों की खबर लगातार लिख रहा है। और अखबार में जब तक खबरें प्रकाशित होंगी जब तक विश्वविद्यालय के घोटाले बाजों पर कार्यवाही नहीं होगी। उत्तर प्रदेश का एकलौता विश्वविद्यालय छात्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय जो कि आत्मनिर्भर विश्वविद्यालय है। किसी भी कार्य के लिए कानपुर विश्वविद्यालय शासन से किसी तरह का वित्त नहीं लेता था। विश्वविद्यालय की अच्छाई के चलते हुए विश्वविद्यालय पर स्वयं का इतना रुपया था कि हर तरह का सुंदरीकरण हो सके।

लेकिन कुलपति पद पर प्रो० नीलिमा गुप्ता ने पद पर आसीन होते ही कानपुर विश्वविद्यालय की घोटालेबाजी से विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर की जगह लूला लंगड़ा बना दिया। इन घोटालों की शिकायत लगातार प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित अन्य जगह की जा रही हैं। लेकिन सेटिंग गेटिंग के चलते किसी घोटालेबाज पर कार्यवाही नहीं हो रही। कानपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता की नजर आते ही विश्वविद्यालय के फंड पर पड़ी। जिसके बाद घोटाले की छड़ी लग गई। शिकायती पत्र में एक और मामला उजागर हुआ, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय टंडन ने विश्वविद्यालय के सरकारी खजाने को बचाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायती पत्र दिया और पत्र में साफ लिखा है।

विश्वविद्यालय की कुलपति ने मामूली पार्किंग में 3 करोड़ रुपए पास कर अपने चहेते को टेंडर पास कर दिया। जोकि मामूली रकम का था उसको कई गुना बड़ा कर दे दिया। साथ ही विश्वविद्यालय की कोडिंग डिकोडिंग का होने वाला कार्य 4 करोड रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ से 17 करोड़ कर दिया। यह टेंडर भी अपने चहेते को ही दे दिया। इन सब घोटालों में विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी भी संलिप्त हैं। विश्वविद्यालय में अपने चहेते को विश्वविद्यालय की घोटालेबाज कुलपति ने शिक्षक बना दिया। हालांकि शिकायत पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ माह पूर्व ही मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश कार्यालय भेज दिया गया। लेकिन ऐसा तो नहीं ऊपर बैठे कोतवाल भी घोटाले में शामिल तो नहीं। इस लिए यह सभी घोटालेबाज बचते आ रहे हैं। इन्हीं घोटालों में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रोफेसर संजय सरकार ने भी ले देकर प्रोफेसर पी के कुश की पेंशन भी जारी कर दी। विश्वविद्यालय के 50 लाख का सरकारी खजाने का नुकसान तो जरूर हुआ। लेकिन प्रोफेशर संजय स्वर्णकार का जरूर फायदा हुआ होगा।

अगले अंक में हम आपको बताएंगे घोटालेबाज कुलपति का एक और फर्जीवाड़ा साथ ही फर्जी रजिस्टर की कहां हुई थी सेटिंग कटिंग

 

क्या कहा शिकायत कर्ता ने

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय टंडन का कहना है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलम गुप्ता ने आत्मनिर्भर विश्वविद्यालय को खोखला कर दिया। प्रदेश में वित्त पर प्रथम स्थान रखने वाली विश्वविद्यालय के खजाने का पूरा पैसा टेंडरों के माध्यम से पास कर घोटालेबाज कुलपति ने अपना खजाना भर लिए कानपुर विश्वविद्यालय की सैकड़ों करोड़ की एफ डी तोड़ कर अपने चहेते को टेंडर पास कर कर विश्वविद्यालय को खोखला कर दिया। वरिष्ट अधिवक्ता अजय टंडन जी का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय के घोटालेबाज पर कार्यवाही नहीं होगी चुप नहीं बैठेंगे लगातार शिकायतें देते रहेंगे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button