उत्तर प्रदेश

होली पर्व के अवसर पर चाइना मेड सामानों को लोगों ने किया बाय-बाय…

फतेहपुर: होली का रंग चढ़ने लगा है। त्योहार के लिए शहर के बाजार सज गए हैं और पिचकारी, रंग-अबीर और गुलाल दिखने लगा है। होली पर देशी सामग्री की मांग बढ़ी है। चाइना का माल बाजार में आना ही बंद हो गया है। वहीं कच्चे माल के महंगा होने के कारण पिचकारी के दाम पिछले वर्ष से पांच प्रतिशत अधिक हैं। होली का त्योहार बड़ों के साथ बच्चों को भी बहुत पसंद होता है।

बाजार में बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक आकर्षक पिचकारियां हैं। जिसमें मोटू-पतलू, मिक्की माउस, डोरीमॉन, पाण्डा, हल्क, स्पाइडर मेन, रेबिट, बार्बी, सिलेंडर, मोदी की गारंटी, पाइप आदि शामिल हैं। इसी के साथ बच्चों के एक स्कूल बस के नाम से पिचकारी आई हुई है जो देखते ही बनती है। वहीं बड़ों के लिए बाजार में हर्बल रंग उपलब्ध हैं जो त्वचा को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं।

बाजार में पिचकारियों की कीमत 150 से लेकर 2500 रुपए तक है। आज स्थिति यह है कि लोग अपने ही देश में बनाए गए माल पर ही विश्वास कर रहे हैं और उसे ही खरीद रहे हैं। इस वजह से बाजारों में देशी सामानों की बिक्री बढ़ गई है। दुकानदारों ने बाजारों में चाइना का माल रखना बंद कर दिया है। वर्तमान में बाजार में होली से संबंधित जो भी माल आ रहा है वह कानुपर, दिल्ली समेत अन्य शहर से लाकर यहां बेचा जा रहा है।

हर्बल रंगों की मांग अधिक

अरारोट से तैयार गुलाल में हर्बल, सिल्क, सेंटड, आर्गेनिक आदि के पैकेट 10 से 120 रुपये तक वजन मुताबिक है। जिसका कोई नुकसान नहीं है। पानी में घोलने वाले रंग की शीशी 40 से लेकर 150 रुपये तक वजन के मुताबिक है। मैजिक रंग पहली बार आया देखने को मिल रहा है। कलर और पानी लगाने पर कोई और रंग हो जाता है। दुकानदारों का कहना है कि पिछले वर्ष की बजाए इस बार ज्यादा स्टॉक मंगवाया है।

चाइना मेड सामान को बाय-बाय

थोक कारोबारियों का कहना है कि चाइना का माल पूर्ण रूप से आना बंद हो गया है। चाइना के माल को अब भारतीय लोग पसंद नहीं करते हैं। स्थानीय माल की मांग अधिक बढ़ गई है। एक दो दिन में व्यापार और तेज गति पकड़ेगा।

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