‘बीहड़ के बागी’ को लोग खूब कर रहे पसंद
जन एक्सप्रेस संवाददाता
कानपुर नगर। बुन्देलखण्ड के पाठा इलाके में खासकर चित्रकूट जनपद में चार दशक तक साम्राज्य चलाने वाले दस्यु ददुआ पर बनी फिल्म ‘बीहड़ के बागी’ को लोग पसंद कर रहे हैं। इस फिल्म में अभिनय करने के लिए पांच सालों तक सिर और दाढ़ी के बालों को बढ़ाया। पड़ोसी जनपद फतेहपुर का निवासी होने के चलते पाठा की भौगिलिक स्थिति से भलीभांति परिचित था और इसका फायदा ददुआ का अभिनय करने में मिला। फिल्म में सबसे चुनौतीपूर्ण दृश्य वह रहा जब ददुआ डकैत तो रहता है पर सरदार नहीं रहता। उसी दौरान एक परिवार में लूट की घटना की जाती है जहां पर लूट के बाद सरदार उस परिवार की लडक़ी पर गलत हरकत करने लगता है, जिसका ददुआ द्वारा विरोध किया जाता है। यह बातें कानपुर पहुंचे फिल्म बीहड़ के बागी के अभिनेता दिलीप आर्य ने शुक्रवार को कही।
औद्योगिक नगरी कानपुर पहुंचे फिल्म बीहड़ के बागी के अभिनेता ने एक होटल में प्रेस वार्ता के दौरान फिल्म में निभाये किरदार की जानकारी साझा करते हुए, शूटिंग के दौरान की गई मस्ती को भी साझा किया। वहीं नितिन गुप्ता द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि अभिनेता दिलीप आर्य द्वारा उत्सव मनाया गया। दिलीप के खास मित्र आनंद प्रकाश दीक्षित की पत्नी के जन्मदिन पर दिलीप आर्य का कानपुर आगमन हुआ। इस अवसर पर फिल्म की सफलता का भी उत्सव मनाया गया।
फिल्म के मुख्य अभिनेता की जुबानी
दिलीप आर्य ने बताया कि फिल्म में शूटिंग के दौरान एक साधारण व्यक्ति के रुप में फिल्म में किरदार निभाया है। फिल्म के मुख्य दृश्य को निभाते हुए बताया कि मेरे किरदार में एक ऐसा दृश्य भी निभाया है, जिसमें कि सरदार का उनका झगड़ा हो जाता है और वह एक परिवार के साथ लूट की घटना को अंजाम देता है। साथ ही वहां मौजूद उसी परिवार की एक लडक़ी के साथ गलत हरकत करने लगता है। जिसका विरोध मैने फिल्म में किया है। जो कि यह दृश्य मेरे लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। वैसे इस पूरी फिल्म में मेरे दिन की शुरुआत एक नारे के साथ होती हैं जो कि मैं जय बजरंगबली कह कर बोलता हुआ इस फिल्म में देखा जा रहा हूं।
मुंबई में छोटे से कमरे में किया गुजारा
फिल्म के हीरो ने बताया कि जब उन्होंने फिल्म की दुनिया में कदम रखा था। तब मैं मुम्बई में एक छोटी से कमरे पांच लोगों के साथ रहकर गुजारा है। कभी-कभी तो हम बस से सफर करते थे तो ये तक भूल जाते थे कि किस स्टेशन पर उतरना था फिर वापस पैदल लौट कर आना पड़ता था। इसी तरह दिल्ली में तो मकान मालिक ने एक जीने के नीचे एक छोटा सा भंडरिया नुमा कमरा बना दिया था जिसमें मैंने कई वर्षों तक रहकर गुजारा। वैसे मेरी जो सोच है कि आज की युवा पीढ़ी को नशा मुक्त जीवन अपनाते हुए मां बाप का साथ निभाना चाहिए। क्योंकि हर सफल जीवन का आधार मां बाप के सहारे से बढ़ता है। दिलीप ने जीवन फिल्म जगत से जुडऩे से पहले कई लाइव शो भी किए हैं। साथ 2010 के समय उन्होंने देश की प्रख्यात कार कम्पनी मारुति सुजीकी के लिए भी विज्ञापन में एक अहम अभिनय निभाया है। इस मौके पर एक्टर शिवा शुक्ला, अरविंद जादूगर, मुकेश भदौरिया, शिव नरेश मौजूद रहे।