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आरबीआई गवर्नर ने कहा- इसे 4 प्रतिशत पर लाने की करेंगे कोशिश

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महंगाई की वजह से आम लोगों का बजट पूरी तरह से बिगड़ चुका है। महंगाई सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। महंगाई को लेकर विपक्ष जबरदस्त तरीके से केंद्र सरकार पर हमलावर भी रहता है। इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुछ ऐसा बयान दिया है जिससे कि आम लोगों को एक बड़ी राहत की उम्मीद जगी है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि पिछले कुछ महीनों में महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय बैंक 2 साल के अंदर ही इसे 4 फ़ीसदी पर लाने के लिए काम करेगा। महंगाई की मार से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। जुलाई की बात करें तो महंगाई की दर घटकर 6.71% पर आ गई थी। पिछले 4 महीनों में यह सब पहला मौका है जब मुद्रास्फीति की दर 7% से नीचे है।

आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि फिलहाल कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी है। हम हर डाटा पर नजर रख रहे हैं। महंगाई पर काबू पाने के लिए ही आरबीआई ने तीन चरणों में रेपो रेट को बढ़ा दिया था। कमोडिटी और कच्चे तेलों की कीमतों में कमी आई है जिससे कि महंगाई दर में गिरावट देखी गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को इस बात की उम्मीद है कि 2022-23 की दूसरी छमाही यानी कि अक्टूबर से मार्च के बीच में महंगाई कम हो सकती है। आपको बता दें कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से महंगाई ने अचानक उछाल देखने को मिला। सरकार की ओर से भी महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन विपक्ष लगातार सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कर रहा है।

आर्थिक वृद्धि दर 13 से 15.7 प्रतिशत रहेगी

प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने 2022-23 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 13 से 15.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उनका यह भी कहना है कि वृद्धि दर इससे अधिक भी रह सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने मंगलवार को वृद्धि दर पहली तिमाही में 15.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम आंकड़ा इससे ऊंचा रहने की संभावना है। वहीं रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जून तिमाही में 13 प्रतिशत से नीचे रहेगी।

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