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DSMNRU, लखनऊ: दिव्यांग छात्रों ने मनुस्मृति दहन कर समानता का संदेश दिया

जन एक्सप्रेस/ लखनऊ: राजधानी स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (DSMNRU) के दिव्यांग छात्रों ने “मनुस्मृति दहन दिवस” पर एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर छात्रों ने जातिवाद, ऊंच-नीच, भेदभाव, असमानता, और सामाजिक अन्याय के प्रतीक माने जाने वाले ग्रंथ “मनुस्मृति” को दहन कर विरोध जताया। उन्होंने समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता, और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

महापुरुषों के विचारों को किया याद

कार्यक्रम के दौरान बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, बिरसा मुंडा, ज्योतिबा फुले, पेरियार, और ललई सिंह यादव जैसे महापुरुषों के विचारों पर भाषण दिए गए। छात्रों ने इन महापुरुषों को समानता और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में नवाजा। नारों और जोशीले भाषणों के माध्यम से छात्रों ने संविधान और उसके आदर्शों की रक्षा करने का संकल्प लिया।

संविधान को बताया मुक्ति का प्रतीक

छात्रों का कहना था कि “मनुस्मृति” दलितों, पिछड़ों, और महिलाओं के अपमान और अन्याय का प्रतीक है। इसके विपरीत, संविधान उनकी मुक्ति और समानता का प्रतीक है। उन्होंने इस अवसर को अपने संघर्षों के ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा, जो संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।

समाज में बदलाव की मांग

इस कार्यक्रम के जरिए छात्रों ने समाज में फैले जातिगत भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। उन्होंने शिक्षा, स्वतंत्रता, और सामाजिक समानता के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए यह संदेश दिया कि समाज के हर वर्ग को समान अवसर और अधिकार मिलना चाहिए।

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