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राजस्थान हाईकोर्ट : आदेश की पालना नहीं करने पर आयुर्वेद विभाग के शासन उप सचिव तलब

जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय ने आयुर्वेद विभाग के शासन उप सचिव को तलब किया और आदेशित किया कि आदेश की अवज्ञा और दुराग्रही कृत्य के लिए क्यों नहीं उसके खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही शुरू की जाएं। आयुर्वेद डॉक्टर को कोर्ट के आदेश के बावजूद 60 साल पर रिटायर कर देने पर हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया। रिट याचिका की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट न्यायाधीश फरजंद अली की एकलपीठ ने आदेश जारी किया है।

डूंगरपुर निवासी डॉ. प्रवीण कुमार पांड्या की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी और विनीता चांगल ने रिट याचिका दायर कर बताया कि याचिकाकर्ता आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी है और आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 से 62 वर्ष करने वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है तथा हॉल में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश पुनर्विचार याचिका भी ख़ारिज कर दी है।। याचिकाकर्ता के अधिवार्षिकी आयु 60 साल 30 सितंबर 2024 को पूरी होने से पूर्व ही उसने रिट याचिका दायर कर उसे 62 वर्ष से पूर्व रिटायर नहीं करने की गुहार लगाई गई।। जिस पर हाइकोर्ट के एकलपीठ न्यायाधीश फरजंद अली ने निर्णय 20 सितंबर 24 से याची को 62 वर्ष से पूर्व रिटायर नहीं करने के आदेश दिए थे।

बावजूद इस आदेश के, जानबूझकर अवज्ञा करते हुए आयुष विभाग के शासन उप सचिव ने 30 सितंबर 24 को आदेश जारी कर याची को जबरन रिटायर कर दिया। उपनिदेशक, आयुर्वेद विभाग, डूंगरपुर और निदेशक, आयुर्वेद विभाग, अजमेर से निवेदन करने पर उनके द्वारा मौखिक रूप से बताया गया कि कोर्ट के आदेश के वनिस्पत राज्य सरकार का आदेश मानना जरूरी होता है। इसलिए निवेदन करने के बावजूद और कोर्ट के आदेश का संज्ञान होने के बाद भी याची को 30 सितंबर 2024 को जानबूझकर रिटायर कर दिया गया। जिस पर याचिकाकर्ता ने पुन: नई रिट याचिका पेश कर आयुर्वेद विभाग के उप शासन सचिव को कंटेम्प्ट नोटिस जारी कर याची को राजकीय सेवा में पुन: वापिस लेने की गुहार लगाई गई।

अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि आयुर्वेद विभाग के वर्तमान शासन उपसचिव जोकि राज्य के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा के विशेष सहायक भी है हाइकोर्ट द्वारा पारित किसी भी आदेश की पालना नहीं की कर रहे हैं। जानबूझकर कोर्ट के आदेशों का मख़ौल उड़ाया जा रहा है औऱ प्रत्येक आदेश की पालना के लिए अवमानना याचिकाए दायर करनी पड़ रही हैं।

याचिकाकर्ता के तर्कों और मामले की परिस्थितिया और आदेशों की अवज्ञा को देखते हुए हाइकोर्ट न्यायाधीश फरजंद अली की एकलपीठ ने प्रतिवादी संख्या 4 आयुष विभाग के शासन उप सचिव सावन कुमार चायल को अगली सुनवाई तारीख 18 नवंबर पर न्यायालय के समक्ष व्यक्तिश: उपस्थित रहने के निर्देश देते हुए यह कहा कि उसके खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही क्यों न शुरू की जाएं। साथ ही याचिकाकर्ता को अविलम्ब पुन: राजकीय सेवा में लेने का भी अंतरिम आदेश दिया।

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