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मुकेश अंबानी जिस कैंपा कोला को खरीद रहे हैं

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शंकर मार्केट के पास लाल ईंट की जर्जर इमारत, जिसे अगर आप काफी गौर से देखेंगे तो भी आपको दीवार पर एक बड़ी बोतल की छवि दिखाई देगी और उसके बगल में एक धूमिल होते पांच-अक्षर वाले शब्द में लिखा “कैंपा” भी दिख जाएगा। लाल ईंट की इमारत से सड़क पर स्टेशनरी और कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए बताते हैं कि मैं हर दिन कैंपा कोला की सैकड़ों बोतलें बेचता था और उनका निर्माण वहीं उस इमारत में किया जाता था। मैंने सीधे कारखाने से खरीदता था। लेकिन 1999 में इस जगह पर पेय का उत्पादन बंद हो गया। लेकिन कैंपा कोला इस सप्ताह फिर से चर्चा में आ गया। चर्चा में इसलिए क्योंकि रिलायंस ने प्योर ड्रिंक्स ग्रुप से कैम्पा का अधिग्रहण कर लिया है। दिवाली तक इसे तीन स्वादों में राष्ट्रीय स्तर पर फिर से लॉन्च करने की योजना है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रांड को चेन के अपने स्टोर के साथ-साथ स्थानीय किराना दुकानों के माध्यम से वितरित किया जाएगा।

भारत का सॉफ्ट ड्रिंक बाजार

दिल्ली में ले मेरिडियन होटल के मालिक प्योर ड्रिंक्स ग्रुप ने 1970 के दशक के अंत में कैंपा कोला की शुरुआत की थी। जब  वास्तव में ये प्योर ड्रिंक ही था जिसने पहली बार 1949 में भारत में कोका कोला पेश किया था और देश में इसका एकमात्र लाइसेंस प्राप्त निर्माता और वितरक था। भारत सरकार ने 1973 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट पास किया। जिसके तहत किसी भी कंपनी को आरबीआई से हर तीन महीने बाद अपना इंपोर्ट लाइसेंस रिन्यू करवाना होता था। जिसके लिए किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में काम करने के लिए दो शर्तें पूरी करनी जरूरी होती थी। पहली शर्ते थी की कंपनी के 60% इक्यूटी शेयर किसी भारतीय कंपनी के नाम करना। दूसरी शर्त थी कोक को अपना सीक्रेट फॉर्मूला भी शेयर करने को कहा गया। दिसंबर 1976 को कोका कोला को अपना आखिरी इंपोर्ट लाइसेंस मिला। लेकिन 1977 आते -आते सरकार बदल चुकी थी।

बन गया इंडियन टेस्ट

कोका-कोला को 1977 में तत्कालीन जनता पार्टी सरकार के आने के बाद विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम के कथित उल्लंघन पर आईबीएम सहित अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ देश छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। लेकिन ऐसा नहीं था कि कोका कोला के जाने के बाद कैंपा कोला की राह एकदम आसान थी और आते ही लोगों ने उसे हाथों हाथ लेना शुरू कर दिया। जब कोका कोला मार्केट से आउट हुए तो उस वक्त एक सरकारी कोला कंपनी मार्केट में आई जिसे डबल 7 का नाम दिया गया। ये नाम सुधाने के लिए जनता सरकार के एमपी हरि विष्णु कामत को 10 हजार का ईनाम भी दिया गया था। 77 ही मोरारजी देसाई सरकार की जीता का साल था। लेकिन लोगों को इसका टेस्ट पसंद नहीं आया। जिसेक बाद मार्केट में एक और सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी ने मार्केट में कदम रखा जिसकी बोतल पर कैंपा कोला लिखा था। लोगों ने डबल 7 को नकार दिया और कैंपा कोला सभी की पहली पसंद बन गया। विदेशी चुनौतियों के आभाव में 1977 के बाद लगभग 15 वर्षों तक कैंपा कोला दिल्ली का पसंदीदा कोल्ड डिक्स था। द ग्रेट इंडियन टेस्ट स्लोगन के साथ इसने राष्ट्रवादियों को भी अपनी ओर लुभाया। कंपनी ने कैम्पा को “मेड इन इंडिया” पेय के रूप में स्थान दिया और कहा कि इसमें “ग्रेट इंडियन टेस्ट” है। उस दौर में इसकी एकमात्र प्रतियोगी पारले समूह की थम्स अप थी। जिसने मुंबई में राज किया और बाद में कोका कोला द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। किसी भी घर में शादी या कोई भी समारोह हो कोका कोला को ही लोगों द्वारा ज्यादा पसंद किया जाता था। प्योर ड्रिक्स ग्रुप ने कैंपा कोला की शुरुआत की। एक वक्त ऐसा भी आया जब सलमान खान जैसे सितारे भी कैंपा कोला की एड में दिखा करते थे।

कोका कोला की वापसी ने बदल दी कहानी

लेकिन पेप्सी के आने और 1993 में कोका-कोला की वापसी के बाद से बिक्री कम होने लगी क्योंकि उदार भारत ने दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। फिर क्या था, धीरे-धीरे कोका कोला और पेप्सी के मार्केटिंग नेटवर्क और टेस्ट ने कैंपा कोला को पछाड़ना शुरू कर दिया। साल 2001 में कैंपा कोला के दिल्ली में स्थित प्लांट और ऑफिस बंद हो गए। अपने सुनहरे दिनों के दौरान, इसे दिल्ली में चार सहित देश भर में 50 से अधिक कारखानों का निर्माण किया। कैंपा के शंकर बाजार कारखाने के एक पूर्व बिक्री प्रबंधक का कहना है कि सीपी फैक्ट्री सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध थी, जबकि अन्य दो कारखाने नजफगढ़ और ओखला में स्थित थे। लेकिन अब सभी इकाइयां बंद हो गई हैं। कैंपा कोला की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली में ये अपनी डिमांड भी पूरी नहीं कर पाता था, भले ही कारखाने 24×7 चले!”

दोबारा मार्केट में छाने की तैयारी 

1977 में कोका कोला के भारत से बाहर जाने के बाद जिस कैंपा कोला ने उसकी कमी को पूरा किया। वो कैंपा कोला अब दोबारा मार्केट में छाने को तैयार है। प्योर ड्रिंक्स के संस्थापकों की चौथी पीढ़ी के सदस्य जयवंत जीत सिंह कोका कोला इंडिया और पेप्सीको की चुनौती के बीच देशी ब्रॉन्ड को दोबारा राष्ट्रीय स्तर पर लाने की तैयारी में हैं। इस कंपनी को अधिग्रहित कर रिलायंस ने अपना रिलायंस ने एफएमसीजी सेक्टर में अपनी एंट्री का ऐलान कर दिया है। इंडस्ट्री ने कैंपा कोला को लगभग 22 करोड़ डॉलर में खरीद लिया है। ऐसी खबरे आ रही हैं कि इस दिवाली रिलायंस कैंपा कोला के जरिए कोका कोला और पेप्सी को टक्कर देने के लिए तैयार होगा।

कैंपा को करना होगा चुनौतियों का सामना

हालांकि कैंपा के सामने चुनौतियां भी हैं। चीन ऐसे ब्रॉन्ड हैं जिनकी मार्केट में अच्छी पकड़ है। थम्स अप, कोका कोला और पेप्सी से कैंपा कोला को अच्छी टक्कर मिलेगी। कैंपा कोला को खुद को इस रूप में पेश करना होगा कि ये आज की जेनरेशन को भी आकर्षित करे। यदि कोई ब्रॉन्ड समय के साथ चलता है तो सफल होता है। बॉन्ड को बीते हुए कल और मौदूदा समय में सही बैलेंस बनाना होगा।

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