नई शिक्षा नीति को मिली, केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी, उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव
जन एक्सप्रेस, लखनऊ: भारत सरकार ने 36 साल बाद शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2023) को लागू कर दिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस नीति को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत स्कूली और उच्च शिक्षा के ढांचे में बड़े बदलाव किए गए हैं। यह नीति 1986 के बाद शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ा सुधार मानी जा रही है। नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों की शिक्षा को अधिक समावेशी, आधुनिक और रोजगारपरक बनाना है।
5+3+3+4 का नया स्कूली ढांचा
नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 के फॉर्मूले पर आधारित किया गया है।
फाउंडेशनल स्टेज (5 साल): नर्सरी से कक्षा 2 तक के बच्चों को मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएगा।
प्रिपरेटरी स्टेज (3 साल): कक्षा 3 से 5 तक की पढ़ाई अधिक इंटरएक्टिव और गतिविधि आधारित होगी।
मिडिल स्टेज (3 साल): कक्षा 6 से 8 तक छात्र व्यावहारिक ज्ञान और कोडिंग जैसे विषयों से परिचित होंगे।
सेकेंडरी स्टेज (4 साल): कक्षा 9 से 12 तक छात्रों को सेमेस्टर प्रणाली में पढ़ाई का अनुभव मिलेगा।
अब केवल 12वीं की परीक्षा ही बोर्ड स्तर पर होगी, जबकि 10वीं बोर्ड समाप्त कर दी गई है।
उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव
हायर एजुकेशन के लिए नई शिक्षा नीति में बड़े सुधार किए गए हैं।
डिग्री पाठ्यक्रम: कॉलेज डिग्री अब 3 या 4 साल की होगी। 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए होगी जो उच्च शिक्षा नहीं करना चाहते, जबकि 4 साल की डिग्री उच्च शिक्षा के इच्छुक छात्रों के लिए होगी।
लचीलापन: छात्र एक कोर्स के बीच में ब्रेक लेकर दूसरा कोर्स कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के अलग-अलग चरणों (सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री) पर मान्यता मिलेगी।
एमफिल समाप्त: अब एमफिल पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया है, और मास्टर्स के बाद छात्र सीधे पीएचडी कर सकेंगे।
तकनीक और क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर
नई शिक्षा नीति में तकनीकी और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रावधान है। देशभर में क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे और वर्चुअल लैब्स विकसित की जाएंगी। साथ ही, समान नियमों के तहत सरकारी और निजी संस्थानों को संचालित किया जाएगा। इस नीति के तहत 2035 तक हायर एजुकेशन में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, यह नीति भारत के भविष्य को मजबूत और आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।