आपराधिक कानूनी तंत्र में बदलाव की प्रक्रिया अधिक व्यापक और पारदर्शी विमर्श से हो : कांग्रेस

नई दिल्ली । कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार देश के संपूर्ण आपराधिक कानूनी तंत्र को गुप्त और अपारदर्शी तरीके से पुनर्गठित करने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने मांग की है कि नई व्यवस्था लाने से पहले व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि गृहमंत्री ने संसद में विधेयकों को पेश करते समय झूठ बोला है। उन्होंने कहा कि बहुत से प्रावधान पहले से मौजूद हैं और सरकार श्रेय लेने का प्रयास कर रही है। सुरजेवाला ने कहा कि भले ही विधेयकों को संसद की चयन समिति को भेजा गया है, लेकिन विधेयकों और इसके प्रावधानों को न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायविदों, अपराधशास्त्रियों द्वारा बड़ी सार्वजनिक बहस के लिए खुला रखा जाना चाहिए। ऐसा ना हो कि बिना चर्चा के पूरे आपराधिक कानूनी ढांचे पर बुलडोजर चल जाए। भाजपा का ऐसा करने का पुराना इतिहास रहा है। हमें उम्मीद है कि बेहतर समझ कायम होगी।
सुरजेवाला ने कहा कि स्वयं गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी से यह तथ्य उजागर हो गया कि वह स्वयं पूरी प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर यूपीए सरकार के दौरान ही लाए गए थे।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक- 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक- 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक- 2023 शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया था। यह क्रमशः भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे।
सुरजेवाला ने कहा कि आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की रीपैकेजिंग सबसे गैर-पेशेवर तरीके से की गई है क्योंकि गृहमंत्री विधेयकों के प्रावधानों से पूरी तरह से अनजान हैं। उन्होंने सदन को भी गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि पुरानी संहिता की धारा 153ए को भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खंड 150 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। यह राजद्रोह की परिभाषा को और भी अधिक खुला और व्यापक बनाता है, जिससे इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। गैंगरेप के लिए पहले से ही 20 साल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। पॉक्सो- एक विशेष अधिनियम पहले से ही मौजूद है जो बच्चों पर यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान करता है। गृहमंत्री ने झूठ बोला कि छिनतई के लिए कोई सजा नहीं थी और लोग छूट जाते थे। जबकि स्नैचिंग आईपीसी की धारा 378/379 के तहत बहुत बड़ा अपराध है।
उन्होंने कहा कि दाऊद इब्राहिम के प्रत्यर्पण के वादे को पूरा करने में विफल रहने पर भाजपा ने अब अपना रुख बदल लिया है और ”अनुपस्थिति में मुकदमा” चलाने की अवधारणा लाई है। वहीं आतंकवाद से निपटने के लिए इंदिरा गांधी स्वयं अधिनियम लेकर आई थीं। सुरजेवाला ने कहा कि गृहमंत्री ने आजीवन कारावास की सजा वाले दोषियों को बड़ी रियायत दी है क्योंकि पहले उनकी आजीवन कारावास की सजा को केवल 14 साल तक ही बदला जा सकता था, हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को केवल 7 साल के बाद रिहा किया जा सकता है।