महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए उन्हें सुरक्षित वातावरण देना जरूरी: मुख्यमंत्री

भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आधी आबादी के साथ न्याय के बिना न देश आगे बढ़ सकता है न समाज। बहन-बेटियों का आत्मविश्वास और सम्मान बढ़े, इसी उद्देश्य से पुलिस बल में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ लाडली लक्ष्मी, कन्या विवाह जैसी योजनाएं और कार्यक्रम आरंभ किए गए। महिला हेल्प डेस्क को वाहन उपलब्ध कराकर गतिशील बनाने और महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करने के लिए आरंभ किया गया “अभिमन्यु अभियान”, महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को प्रदेश के थानों में काम कर रही ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क की महिला पुलिस कर्मियों को दोपहिया वाहन प्रदान करने के लिए मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 250 महिला पुलिस कर्मियों की स्कूटर रैली को फ्लैग ऑफ किया। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति पुरुषों को जागरूक करने तथा महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने के उद्देश्य से संचालित अभिमन्यु अभियान की पुस्तिका “अभिमन्यु” का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस में 30 फीसदी महिलाओं की भर्ती से पीड़ित महिलाओं को थानों में अपनी व्यथा बयान करने और उस पर कार्रवाई कराने में मदद मिली है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन मुस्कान जैसे महिला सुरक्षा के लिए संचालित किए जाने वाले अभियानों को निरंतर चलाने की आवश्यकता है। अभिमन्यु अभियान महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने और बच्चों व युवाओं में संस्कार विकसित करने में सहायक होगा।
संकल्प को धरातल पर उतारना कहलाता है सिद्धि: गृह मंत्री डॉ. मिश्रा
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि संकल्प को धरातल पर उतारना सिद्धि कहलाता है। मुख्यमंत्री चौहान ने महिलाओं के सशक्तिकरण का जो संकल्प लिया है, उसे लगातार वे धरातल पर उतार रहे हैं। लाडली लक्ष्मी योजना से लेकर लाडली बहना तक महिलाओं के आत्मबल को बढ़ाने के लिये जो कार्यक्रम किये जा सकते हैं, वे सभी उन्होंने किये हैं। प्रदेश में महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण के साथ पंचायती राज संस्थाओं में सहभागिता भी सुनिश्चित की है। बेटियों के मान सम्मान के साथ प्रदेश के वातावरण को उनके लिये सुरक्षित बनाने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं। महिला पुलिस की उपस्थिति में शक्ति मिलती है। मध्य प्रदेश में ही महिला अपराधों को नियंत्रित करने के लिये दुष्कर्मियों को फाँसी की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में “ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क” की बेटियों को प्रदाय की गई स्कूटियाँ निश्चित ही महिला अपराध रोकथाम में सहायक होंगी।