चित्रकूट

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा रानीपुर टाईगर रिजर्व का निर्माणाधीन प्रवेश द्वार

टाईगर रिजर्व को विस्तारित करने के नामपर मची लूट

विभाग के जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर नहीं की जा रही नियमित निगरानी
चित्रकूट। जन एक्सप्रेस 
रानीपुर टाइगर रिजर्व को विकसित करने सरकार ने करोड़ों का बजट दिया है। जिससे टाइगर रिजर्व को विस्तारित किया जा सके लेकिन विकास के नाम आई धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।
रानीपुर टाइगर रिजर्व के मारकुंडी और मानिकपुर क्षेत्र में हो रहे विभिन्न निर्माण कार्यों में जमकर अनियमिताएं की जा रही है। मारकुंडी वन परिक्षेत्र के किहुनिया स्थित डाक बंगले में लाखों की लागत से बन रहा प्रवेश द्वार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। चल रहे निर्माण कार्यों की सही मॉनिटरिंग नहीं होने से गुणवत्ताहीन काम किया जा रहा है। विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया की ऊपर के अधिकारियों द्वारा जमकर कमीशन लिया जा रहा है। जिसके चलते अधिकारियों द्वारा उक्त निर्माण कार्यों की नियमित निगरानी नहीं की जा रही है। इसी के चलते ठेकेदार मनमानीपूर्ण कार्य कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा है। प्रवेश द्वार की लागत तकरीबन 17 लाख के आसपास है, लेकिन लागत के अनुरूप इंट्री गेट का गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं किया जा रहा है। प्रवेश द्वार की कमियों को छिपाने दरारों में सीमेंट का घोल डाला जा रहा है, तो वहीं गेट के दोनों पिलरों में अलग से पतली सीमेंट की परत बनाई जा रही है, जो कुछ ही दिनों में दरार छोड़कर अलग हो जाएगी। मनकविहीन कार्यों को जिम्मेदार अधिकारियों को फुर्सत तक नहीं है। उक्त मामले को लेकर स्थानीय कुलदीप, गणेश, शिवशंकर आदि ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर घटिया निर्माण की शिकायत की है।
बनते ही टूट गई थी बीम, दोबारा हुई तिरछी 
किहुनिया डाक बंगले में बन रहा प्रवेश द्वार पर बने दोनों कालम (पिलर) के बीच में डाली गई आरसीसी बीम सेटरिंग के खोलते ही ढह गई थी। इसी से प्रवेश द्वार के गुणवत्ता का अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। दोबारा जब बीम डाली गई तो वह टेढ़ी कर दी गई है। बीम के अगल-बगल खाली बोरी लगाकर सीमेंट भरकर बराबर किया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण कर खुलेआम भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है।
चबूतरे की पुराई में भर दी मिट्टी
प्रवेश द्वार के दोनों तरफ बाघों की प्रतिमा बैठाने के लिए बनाए जा रहे चबूतरे में मिट्टी भरकर समतल किया जा रहा है। जबकि उन चबूतरों को जीएसबी डालकर कंक्रीट किया जाना चाहिए था, लेकिन मिट्टी डालकर ऊपर से दिखावे के लिए गिट्टी डाल दी गई है। जिससे मिट्टी धंसने की पूरी आशंका है। वहीं बाघों की मूर्तियों के प्लेटफार्म बनाने में भी भारी अनियमितताएं की गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button