गंगा बैराज पर बनेगा पक्षियों व जीवों के लिए वैटलैंड
जन एक्सप्रेस संवाददाता
कानपुर नगर। शहर में फिलहाल तो कहीं भी पक्षियों के लिए वेटलैंड (आद्र्रभूमि) नहीं है, लेकिन शहर के साथ ही आसपास के जिलों में भी कई जगहों पर ऐसी जगहें हैं, जिन्हें अब वेटलैंड बनाने पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है। गंगा किनारे के ऐसे क्षेत्रों की पहचान वन विभाग और सिंचाई विभाग से संयुक्त रूप से कराई जा रही है।
जल्द ही इसकी रुपरेखा खींचकर वैटलैंड तैयार कराए जाएंगे। यह बात मंगलवार को विश्व वेटलैंड दिवस पर मंडलायुक्त डॉ. राज शेखर ने चिडिय़ाघर का जायजा लेते हुए कही।
उन्होंने कानपुर चिडिय़ाघर के वेटलैंड क्षेत्र का जायजा लिया और बताया कि वेटलैंड्स की प्रकृति में विशेष पारिस्थितिक महत्व है। वे पक्षियों, सरीसृपों, मछलियों और अन्य सैकड़ों जैव प्रजातियों के प्राकृतिक आवास हैं। मौजूदा में कानपुर मंडल में कोई भी अधिसूचित वेटलैंड नहीं है। लेकिन कानपुर डिवीजन में कई जगह ऐसी हैं जिन्हें वेटलैंड्स बनाए जाने पर विचार किया जा सकता है। पूरे मंडल में अब तक लगभग 35 संभावित क्षेत्र (कानपुर 13, फर्रुखाबाद 17 और कन्नौज 5) को सूचीबद्ध किया गया है। दो माह में सर्वेक्षण और फीडिंग कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
मंडलायुक्त ने बताया कि भारत सरकार के ‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट’ के तहत, गंगा नदी के किनारे के ऐसे सभी स्थान जो वेटलैंड्स बनाए जाने के सभी मानक पूरा करते हैं, उनकी पहचान वन विभाग और सिंचाई विभाग संयुक्त रूप से कराई जा रही हैं। गंगा बैराज में केडीए के प्रस्तावित जैव विविधता पार्क में 13 एकड़ का क्षेत्र वेटलैंड का होगा, जहां मछलियों से लेकर पक्षियों के लिए उपयुक्त होगा। उन्होंने बताया कि चिडिय़ाघर में भी वेटलैंड की संभावनाएं काफी प्रबल हैं। यहां पर 86 मगरमच्छ, 5000 से अधिक पक्षियों (34 प्रजातियों में से), 200 से अधिक कछुओं की प्रजातियां हैं। आयुक्त ने इस सम्बंध में स्वयंसेवा समूह की एक युवा टीम से भी बातचीत की, जो वन्य जीवों के संरक्षण के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के बारे में सभी हितधारकों को जागरूक करने के लिए अगले एक या दो महीनों में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा। इस दौरान मंडलायुक्त के साथ वन सरंक्षक केके सिंह, डीएफओ अरविंद कुमार और डीडी कानपुर चिडिय़ाघर उपस्थित रहे।