लखनऊ

‘तू मुझे लाइक कर, मैं तुझे लाइक करुं, आजकल यही चल रहा हैः नरेश सक्सेना

लखनऊ। लखनऊ के रंगकर्मी एवं लेखक अनिल मिश्र गुरुजी की नवप्रकाशित पुस्तक ‘क्षितिज के उस पार’ का लोकार्पण बुधवार को हुआ। कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश राज्य संग्रहालय सभागार में हुआ।

विमोचन समारोह के अध्यक्ष ख्याति प्राप्त शायर प्रो. शारिब रुदौलवी ने कहा कि वक्त के हालात को जो लेखन प्रकट करता है, जिसके लेखन में फुटपाथ और मजदूर दिखता है, जीवन और तकलीफ दिखती है, वो जिंदा शायरी है। अनिल की कविताएं आज के इंसान को यह एहसास दिलाती है कि ‘भाई तुम कहां हो‘। प्रो शारिब ने अनिल मिश्र गुरुजी के काव्य संग्रह के लिए मुबारकबाद दी।

प्रो. नलिन रंजन ने पुस्तक क्षितिज के उस पार के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कवि धूमिल को कोट करते हुए कहा कि कविता भाषा में आदमी होने की तमीज है। अनिल ने अपने व्यक्तित्व और कविताओं से यह बयां कर दिया है। अब अनिल यह संकोच छोड़ दें कि कविता लिखें या नहीं। कविता दर्द और तकलीफ से ही निकलेगी। उन्होंने फुटपाथ कविता का जिक्र करते हुए कहा कि ‘फुटपाथ प्रगतिशीलों की जगह रही है।‘

भारतेंदु नाट्य अकादमी के पूर्व डायरेक्टर व नाटककार सुशील कुमार सिंह ने कहा कि अनिल के रंगकर्म से परिचित हूं। उनका कविता संग्रह देखकर प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि एक रंगकर्मी में कवि छुपा होता है, और कवि में नाटककार। अनिल जी की कविताएं मानवीय संवेदनाओं के सभी पहलुओं को छूती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक नरेश सक्सेना ने अनिल मिश्र गुरुजी को उनकी पुस्तक की बधाई देते हुए उन्हें बेहतर मनुष्य होने का खिताब दिया। उन्होंने कहा कि मैं आप सबके प्रेम में आया हूं। कहा, आज कविताओं के पाठक नहीं रह गए हैं। ज्यादातर ‘तू मुझे लाइक कर- मैं तुझे लाइक करुं। चल रहा है। कविता एक स्ट्रक्चर होता है। तथ्य कितना भी महत्वपूर्ण हो, ये जरूरी नहीं कि कविता हो।

युवा व्यंग्यकार अनूपमणि त्रिपाठी ने अनिल मिश्रा गुरुजी के व्यक्तित्व और पुस्तक पर बात की। उन्होंने कहा ‘कवि दो तरह के होते हैं। एक लिखने वाले और एक कविता को जीने वाले। इस पुस्तक में सेकुलरिज्म, मॉब लिंचिंग, चेतना समेत कई मुद्दों पर कविता है। लेकिन इसमें मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई मां पर लिखी एक कविता। उसने मेरे दिल को छू लिया”।

काव्य संग्रह के लेखक अनिल मिश्रा ‘गुरुजी’ ने बताया कि वो रंगकर्मी हैं, लेकिन जो भावनाएं मन में आईं, उन्हें लिख दिया। मैं नहीं जानता कि कविता लिखने के लिए कोई विशेष तैयारी होती है।

बतातें चले कि काव्य संग्रह में करीब 60 कविताएं हैं। इसमें मां पर कविताएं हैं। वहीं सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और मॉब लिंचिंग पर भी कविताएं हैं। समाज का समग्र चिंतन इसमें शामिल किया गया है। नाटक के दौरान मैंने कई कविताएं लिखीं। ये भी उन्हीं दौर से जन्मी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button