भंडारा जिला अस्पताल में लगी भीषण आग 10 नवजातों की मौत
मुंबई। महाराष्ट्र के भंडारा में शनिवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां के जिला अस्पताल में देर रात दो बजे आग लग गई। इसमें 10 नवजातों की मौत हो गई। इनकी उम्र एक दिन से लेकर 3 महीने तक है। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। घटना के बाद कलेक्टर संदीप कदम, स्क्क वसंत जाधव, एएसपी अनिकेत भारती, सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खंडाते और डिप्टी डायरेक्टर (हेल्थ) संजय जायसवाल मौके पर पहुंचे। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। लापरवाही के लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को सख्त सजा होगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, कलेक्टर और स्क्क से बात की। वहीं, डिप्टी सीएम अजित पवार ने अर्जेंट बेसिस पर सभी अस्पतालों का ऑडिट करने का आदेश दिया है। सिविल सर्जन प्रमोद खंडाते ने बताया कि आग सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में तड़के 2 बजे लगी। यूनिट से सात बच्चों को बचा लिया गया है। वहीं, दस बच्चों की मौत हो गई। पूरे अस्पताल को पुलिस ने बंद करवा दिया है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। दम घुटने से मरने वाले बच्चों का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाएगा। घटना के पीछे की वजह का पता लगाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने मारे गए बच्चों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है।
वार्ड में 17 बच्चे एडमिट थे
जानकारी के मुताबिक, इस वॉर्ड में करीब 17 बच्चे थे। यहां नाजुक हालत वाले बच्चों को रखा जाता है। सबसे पहले एक नर्स ने वॉर्ड से धुआं निकलते देखा। उन्होंने तुरंत अस्पताल के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद स्टाफ ने आग बुझाने की कोशिश की। फायर ब्रिगेड को भी जानकारी दी गई। दमकल के कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। घटना के बाद हॉस्पिटल के बाहर काफी भीड़ जमा है। लोगों का आरोप है कि घटना के लिए अस्पताल का प्रशासन जिम्मेदार है।
कैसे हुआ हादसा
भंडारा जिला अस्पताल के मेडिकल अधिकारी डॉ. प्रमोद खंडाते ने बताया, देर रात करीब 2 बजे के आसपास यह हादसा हुआ है। अस्पताल के आउट बोर्न यूनिट में धुआं निकल रहा था। जब अस्पताल की नर्स ने दरवाजा खोला तो देखा आउट बॉर्न यूनिट में सब जगह धुआं ही धुआं था। अधिकारी के अनुसार, नर्स ने तुरंत अस्पताल के अधिकारियों को बुलाया। आपातकाल विभाग और दमकल विभाग मौके पर पहुंचकर बच्चों को बचाने की कोशिश की। हालांकि, इस हादसे में 10 शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 7 शिशुओं को बचा लिया गया।
हॉस्पिटल की लापरवाही के सबूत
ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने कहा- रात 2 बजे सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट का दरवाजा खोला गया तो वहां धुआं था। साफ है कि वहां कोई स्टाफ नहीं था।
मीडिया रिपोट्र्स की मानें तो कुछ बच्चों के शरीर काले पड़ गए थे। इसका मतलब ये है कि आग पहले लग चुकी थी। स्टाफ को पता ही नहीं चला।
सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में रात में एक डॉक्टर और 4 से 5 नर्सों की ड्यूटी रहती है। घटना के वक्त वे कहां थे?
आग की वजह शार्ट सर्किट बताई जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच का नियम है। फिर आग कैसे लग गई?
कुछ परिजनों का आरोप है कि उन्हें 10 दिन से बच्चों से मिलने नहीं दिया गया। नियम के मुताबिक, बच्चे की मां फीडिंग के लिए वहां जा सकती है।
वार्ड में स्मोक डिटेक्टर क्यों नहीं लगा था? इससे आग की जानकारी पहले मिल जाती और बच्चों की जान बच जाती।
राज्य के सभी हॉस्पिटल्स का ऑडिट होगा: डिप्टी सीएम
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भंडारा हादसे पर कहा, ‘घटना दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना की तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य के अन्य अस्पतालों में चाइल्ड केयर यूनिट्स का तत्काल ऑडिट करवाया जाएगा ताकि इस तरह के हादसे दोबारा न हों।
3 साल पहले भी लगी थी आग
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि तीन साल पहले भी इसी वार्ड में एक भीषण आग लगी थी। हालांकि, सही समय पर बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया था, जिस वजह से बड़ी दुर्घटना टल गई थी। डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल की आरोग्य समिति ने सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खंडाते को रिपोर्ट भेजी थी। डॉ. खंडाते ने पिछले साल ही महाराष्ट्र के क्कङ्खष्ठ डिपार्टमेंट को रिनोवेशन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।