उत्तराखंड

BJP ने संगठन के जरिए साधा क्षेत्रीय और जातीय संतुलन

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की नई टीम में पार्टी हाईकमान ने क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है। इसके अलावा अनुभव के साथ-साथ युवा और महिला दोनों वर्गों को भी तरजीह दी है। पहली दफा संगठन में सभी जिलों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की टीम में संगठनात्मक जिलों में महानगर व दून के पास सबसे ज्यादा आठ पद थे।

इसके बाद नैनीताल में तीन और यूएसनगर के दो नेताओं के पास संगठन में जिम्मेदारी थी। वहीं अब, भट्ट की टीम में सभी जिलों के नेताओं का ख्याल रखा गया है। पौड़ी, यूएसनगर और नैनीताल जिले को चार-चार पद दिए गए हैं, जबकि देहरादून जिला और महानगर को दो-दो पदों का प्रतिनिधित्व सौंपा गया है। हरिद्वार के खाते में भी दो पद आए हैं।

मंडल भी बराबर भाजपा की नई टीम में कुमाऊं और गढ़वाल मंडल से 14-14 पद बांटें गए हैं। एक तरह से पार्टी ने दोनों मंडलों को बराबर मान दिया है। वहीं ठाकुर-ब्राह्मण दोनों वर्गों को भी खुश कर दिया। दोनों वर्गों को बराबर नौ-नौ पदों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संगठन में पांच पूर्व विधायकों को जगह देकर जहां अनुभव का समावेश किया गया है वहीं, महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व बढ़ाकर उन्हें छह पद दिए गए हैं। उम्र के लिहाज से बात करें तो संगठन में 95 फीसद पदाधिकारी 40 से 56 साल के बीच के हैं।

ओबीसी व एससी को तीन-तीन पद भाजपा ने ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग को संगठन में तीन-तीन पद दिए हैं। इनमें ओबीसी वर्ग से डॉ. कल्पना सैनी, नीरू देवी व खिलेंद्र चौधरी जबकि अनुसूचित जाति से पूर्व विधायक मुकेश कोली, देशराज कर्णवाल और मीना गंगोला को शामिल किया गया है। वहीं, अनुसूचित जनजाति वर्ग से डॉ. लीलावती राणा, वैश्य समुदाय से पुनीत मित्तल व साकेत अग्रवाल और सिख समुदाय से गुरविंदर सिंह चंडोक को जगह दी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की संगठन में भी मजबूत पकड़
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भाजपा संगठन में पकड़ और मजबूत हुई है। प्रदेश अध्यक्ष पद से मदन कौशिक की विदाई के साथ ही तय माना जा रहा था कि अब संगठन में मुख्यमंत्री धामी का बोलबाला रहेगा। पार्टी हाईकमान के जुलाई में महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी थी।इसके बाद तय माना जा रहा था कि नई टीम में कई बड़े नेताओं की छुट्टी होगी। मंगलवार को संगठन पदाधिकारियों की सूची में यह बात साफतौर पर देखने को मिली। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश संगठन में कई ऐसे पदाधिकारी भी थे, जिनसे मुख्यमंत्री धामी के संबंध सहज नहीं थे। सूत्रों ने बताया कि प्रदेश महामंत्री के तीन में से दो पदाधिकारी धामी के नजदीकी हैं, जबकि एक अन्य पूर्व में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खास रहे हैं।

 

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