सजायाफ्ता राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का समर्थन
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की ओर नियुक्त एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में दोषी करार दिए गए राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने का समर्थन किया है। फिलहाल अभी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक सजा की अवधि पूरे हो जाने के बाद अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर ही रोक है।
एमिकस क्यूरी का कहना है कि चुनाव लड़ने की अयोग्यता को सजा के वक़्त तक सीमित करना समानता के अधिकार का हनन है, ऐसे राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए। सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल कितने केस लंबित हैं, इसकी जानकारी भी एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट में दी गई है। विभिन्न हाई कोर्ट की ओर से उपलब्ध कराई गई नवंबर, 2022 तक देश भर में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 5175 केस लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1377 केस यूपी में लंबित हैं। इसके बाद नंबर बिहार का है, जहां 546 केस लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट सजायाफ्ता नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सांसदों और विधायकों को दोषी पाए जाने पर उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई है जबकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जघन्य अपराधों में दोषी आए जाने पर सांसदों या विधायकों को केवल छह साल के लिए चुनाव लड़ने तक रोक है।