क्या पहाड़ों की चढ़ाई AAP के लिए कठिन है
गुजरात के लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। पंजाब में चुनावी नतीजों के बाद ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से ऐलान किया गया था कि अब वह गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। बकायदा हिमाचल प्रदेश और गुजरात में आप नेताओं का दौरा भी शुरू हो गया था। खुद अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान में कई बार गुजरात और हिमाचल के दौरे किए। हालांकि, वर्तमान की स्थिति में देखें तो ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल का पूरा फोकस गुजरात की तरह हो गया है। ऐसे में सवाल यह है कि हिमाचल और गुजरात में समान रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी आम आदमी पार्टी ने आखिर पहाड़ी राज्य से अपना ध्यान अलग क्यों किया? क्यों वर्तमान समय में आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस गुजरात पर ही है?
हिमाचल में चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद से आम आदमी पार्टी के किसी बड़े नेता का दौरा भी नहीं हुआ है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुजरात की तुलना में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। ऐसे में वहां आप के लिए फिलहाल जमीन तैयार करना थोड़ा मुश्किल है। पंजाब से सटे राज्य होने के नाते हिमाचल में आप के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का भी चांस हो सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कई मुद्दों को लेकर चर्चा में आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी को यह भी लगता है कि हिमाचल प्रदेश में सिर्फ 68 सीटें हैं। यहां अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी पार्टी देश के अन्य लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में इतनी सफलता हासिल नहीं कर सकती है। लेकिन गुजरात का मामला कुछ और है। गुजरात को लेकर पार्टी की राय कुछ अलग है।
हिमाचल की तुलना में गुजरात एक बड़ा राज्य है। इसके अलावा गुजरात मॉडल के नाम पर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे हैं। गुजरात में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। अगर गुजरात में आम आदमी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है तो पूरे देश में इस बात का संदेश जाएगा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गढ़ में अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को बड़ी चुनौती दी है। इसका सीधा असर 2024 के आम चुनाव पर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी की ओर से पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि केजरीवाल प्रधानमंत्री बनने की ताकत रखते हैं।