मुख्यमंत्री ने मोगा-कोटकपूरा मार्ग पर टोल प्लाजा किया बंद
मोगा । पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को मोगा जिले के गांव चन्दपुराना के नज़दीक मोगा-कोटकपूरा रोड पर राज्य में 10वां टोल प्लाज़ा बंद करवाया। पंजाब में अब तक 10 टोल प्लाज़ा बंद होने से आम लोगों की रोज़मर्रा के 44. 43 लाख रुपये की बचत हो रही है।
सिंघावाला टोल प्लाज़ा बंद करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन 10 टोल प्लाजा से निकलने के मौके पर लोगों को रोज़मर्रा के 44.43 लाख रुपये टोल के तौर पर अदा करने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि अब यह टोल बंद होने से लोगों को बहुत बड़ी आर्थिक राहत मिली है। भगवंत मान ने कहा कि मोगा-कोटकपूरा मार्ग पर पड़ते इस सिंघावाला टोल प्लाज़ा से निकलने के मौके पर लोगों को रोज़मर्रा के 4.68 लाख रुपए टोल देना पड़ता था, जिस कारण टोल बंद होने से लोगों के ये पैसे अब बचेंगे।
मुख्यमंत्री ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में यह टोल प्लाज़ा आम लोगों को लूटने वाली दुकानें हैं। उन्होंने कहा कि इन टोल प्लाज़ा ने लोगों का आर्थिक शोषण करने के लिए सरकार के साथ हुए समझौतों के नियमों की जी भर कर धज्जियाँ उड़ाई हैं। भगवंत मान ने कहा कि यह बहुत हैरानी वाली बात है कि पिछली सरकारों ने लोगों के हित में टोल प्रबंधकों पर कोई कार्रवाई करने की बजाय उल्टा इनको संरक्षण दिया और लोगों की होती लूट की तरफ जानबूझ कर कोई ध्यान नहीं दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे लोग अपने हितों की रक्षा के लिए सरकारें चुनते हैं परन्तु सत्ता में अंधे हुए राजनेताओं ने ऐसे डिफाल्टरों को सिर्फ़ अपने स्वार्थों के लिए ढाल बनाया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने इन टोल प्लाजा की कमियों को नजरअन्दाज किया और आम लोगों की परवाह किये बिना इनको ग़ैर- कानूनी ढंग के साथ पैसा वसूलने की छूट दी। भगवंत मान ने कहा कि अब तक बंद किये गए किसी भी टोल प्लाज़ा पर समझौते में व्यवस्था होने के बावजूद एंबुलेंस या रिकवरी वैन की सुविधा नज़र नहीं आई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस टोल प्लाज़ा का समझौता कैप्टन सरकार के दौरान 25 सितम्बर, 2006 को हुआ था और साढ़े सोलह सालों के लिए टोल लगाया गया था। उन्होंने कहा कि कंपनी की तरफ से सड़क पर पहली बार कोलतार डालने के काम में 158 दिन की देरी की गई थी, जिसके कारण कंपनी को 2.48 करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया। भगवंत मान ने कहा कि उस मौके की सरकार द्वारा कंपनी से यह जुर्माना कभी भी वसूल नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि समझौते के अंतर्गत यह टोल 10 नवंबर, 2019 को बंद किया जा सकता था, क्योंकि दूसरी बार कोलतार डालने के काम में फिर देरी की गई थी और इस गलती के लिए कंपनी पर 3.89 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उन्होंने कहा कि यह समझौते का उल्लंघन था, क्योंकि यदि जुर्माने की रकम 3.11 करोड़ रुपये से अधिक होती है तो सरकार की तरफ से समझौता ख़त्म किया जा सकता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने इन टोल प्लाजा को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके अनुसार ये टोल प्लाज़ा बंद कर दिए गए हैं। इसके बारे में भ्रामक बयान देने के लिए कांग्रेसी नेताओं पर बरसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेसी नेता लोगों को यह स्पष्ट करें कि उनके कार्यकाल के दौरान इन टोल प्लाजा को बंद क्यों नहीं किया गया था। भगवंत मान ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस ने इन टोल प्लाजा की सरपरस्त थी, जिसके कारण उन्होंने कभी भी कसूरवार टोल कंपनियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि टोल बंद करवाने का उद्देश्य शोहरत कमाना नहीं है बल्कि इसका मनोरथ लोगों को राहत देना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह टोल चलाने वाली कंपनी किसान आंदोलन और कोविड महामारी के बहाने मियाद बढ़ाने की मांग कर रही थी परन्तु उनकी सरकार ने इससे साफ़ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कंपनी को 60 दिन पहले नोटिस देना ज़रूरी होता है, जिसके कारण उन्होंने कंपनी को नोटिस देकर आज टोल प्लाज़ा बंद कर दिया है।