दिल्ली/एनसीआर

कांग्रेस की मुश्किलें नहीं हो रही कम

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नयी दिल्ली। ग्रैंड ओल्ड पार्टी ‘कांग्रेस’ का मुश्किल दौर समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। गुलाम नबी आजाद के बाद कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। एक तरफ जहां कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चर्चा हो रही है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की छड़ी सी लग गई है। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से एक दिन पहले जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस को अलविदा कहा था।

कई नेता कांग्रेस से हुए आजाद

जयवीर शेरगिल के बाद गुलाम नबी आजाद और फिर आजाद के समर्थन में जम्मू-कश्मीर के कई पूर्व विधायकों ने भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जिसे कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है और इस पर चर्चा हो ही रही थी कि तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य एमए खान ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। एमए खान ने अपने इस्तीफे में कई आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कांग्रेस आलानेतृत्व को लिखे अपने पत्र में कहा कि कांग्रेस जनता को यह समझाने में पूरी तरह से विफल रही है कि वह अपनी पूर्व भव्यता को पुनः प्राप्त कर सकती है और देश को आगे ले जा सकती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहने के बाद कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी अपनी एक अलग विचार प्रक्रिया है, जो ब्लॉक स्तर से लेकर बूथ स्तर तक किसी भी सदस्य से मेल नहीं खाती।

एक और वरिष्ठ नेता ने छोड़ी कांग्रेस

एमए खान ने कहा कि वह अपने छात्र जीवन से ही चार दशकों से अधिक समय से पार्टी से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि आलानेतृत्व पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है। पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव के नेतृत्व में पार्टी ने उसी प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ देश की सेवा करना जारी रखा। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए मेरे पास पार्टी से इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

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