गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर की कमान संभालेंगे जे रविंदर कुमार
अब गाजियाबाद जिले की कमान बहुचर्चित आईपीएस अधिकारी जे रविंदर गौड़ के हाथों में होगी

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद: गाजियाबाद में पुलिस महकमे में बहुप्रतीक्षित स्थानांतरण की ख़बर आखिर आ ही गई है, पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र के पदोन्नति के बाद प्रयागराज परिक्षेत्र के आई जी बनाए गए हैं, जबकि गाजियाबाद जैसे महत्वपूर्ण जिले की कमान 2005 बैच के आईपीएस आईजी रैंक के अधिकारी जे रविंदर गौड़ को मिली है। जो अभी तक आगरा के पुलिस कमिश्नर पर तैनात थे। जनपद गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र के स्थानांतरण को लेकर भले राजनीतिक दंभ भरा जा रहा हो लेकिन यह पूर्णतया विभागीय कार्यवाही है। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से पहले कमिश्नर के रूप में पदारूढ़ अजय मिश्र ने ढाई साल से ज्यादा समय तक पद पर रहकर कीर्तिमान स्थापित किया । सख्त तेवरों और अभिनव प्रयोगों के रूप में उन्होंने गाजियाबाद पुलिस के स्वरूप को बदला।
अब जिले की कमान बहुचर्चित आईपीएस अधिकारी जे रविंदर गौड़ के हाथों में होगी । आंध्र प्रदेश के महबूब नगर जो वर्तमान में तेलंगाना प्रदेश का हिस्सा है वहां के मूल निवासी हैं। आईपीएस जे रविंदर कुमार की गिनती प्रदेश के तेज तर्राज अधिकारियों में होती है। आगरा में अपने 15 महीनों के कार्यकाल में पुलिस प्रणाली में अभिनव प्रयोग से शासन की भी वाहवाही लूटी । साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली लागू करके भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कवायद किया तो इसके लिए खुद पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी दिया । इससे पहले नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर रेंज के आईजी सहित मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ और अलीगढ़ समेत बड़े बड़े जिलों एसपी से लेकर डीआईजी और आईजी रहे ।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिले में शांति व्यवस्था कायम करना चुनौती
पूर्व पुलिस प्रमुख के स्थानांतरण के बाद कुछ सत्ताधारी और धर्म की राजनीति करने वालों की बांछे जरूर खिल गई हैं , लेकिन पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र का स्थानांतरण पुलिस विभाग की सामान्य कार्यवाही के रूप ही देखा जाना चाहिए। जनपद में जिस प्रकार से सत्ता की हनक और अपने राजनीतिक कद को लेकर वर्चस्व बनाने की कोशिश हुई उसका अजय कुमार ने हर बार कानूनी नियमों के तहत बांध कर उनके अहम को ठंडा किया। चाहे भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर का मामला हो या डासना स्थित मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद के हिंदू समर्थित रैली,प्रदर्शन और सभा की अनुमति निरस्त करने का मामला । शांति व्यवस्था की बहाली को लेकर पुलिस कमिश्नर द्वारा जो भी प्रशासनिक कदम उस समय उठे उसकी सत्ता और विपक्ष दोनों ने सराहना किया । जिसको कायम रखना वर्तमान पुलिस प्रशासन के मुखिया के लिए आवश्यक है।
भाजपा विधायक के बहुरेंगे दिन , नवीन वस्त्र और पादुका क्या करेंगे धारण !
रामचरितमानस के अपमान को मुद्दा बनाकर प्रदेश सरकार , प्रमुख सचिव और गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर को निशाने पर लेकर भाजपा सरकार और संगठन दोनों को बैकफूट पर धकेलने वाले लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर फटे कुर्ते और नंगे पैर रहने की कसम अब शायद पूर्ण हो जाए । बदली परस्थितियों में पुलिस कमिश्नर का स्थानांतरण हो चुका है और रही बात कार्यवाही की तो नवागत पुलिस कमिश्नर जे रविंदर कुमार पर कितना प्रभाव पड़ता है वह भविष्य की राजनीति जाने । लेकिन भाजपा विधायक इसे अपनी राजनीतिक जीत के रूप में जरूर देख रहे होंगे । भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश उमा भारती के निर्देश पर दिल्ली मार्च स्थगित करने वाले गुर्जर अब खुश होंगे। अब वस्त्र से लेकर चरणों में पादुका धारण करेंगे यह देखने वाला होगा ।
विवादों से भी रहा है नाता, सपा सरकार में भी बोलती थी तूती
पुलिस कमिश्नर जे रविंदर कुमार की कार्य प्रणाली के चर्चे तो खूब हैं ,लेकिन उनका विवाद से बड़ा नाता रहा है। अपने नौकरी के प्रशिक्षण के उपरांत 30 जून 2007 को बरेली जनपद के फतेहगंज पश्चिमी में एएसपी रहते हुए मुठभेड़ में मुकुल गुप्ता नामक युवक को पुलिस द्वारा मार गिराने का दावा किया गया । उस समय मुठभेड़ की टीम में एएसपी के रूप में उनका भी नाम शामिल किया गया। बदायूं के सेवानिवृत अभियंता का पुत्र मुकुल कंप्यूटर ऑपरेटर था । जिसके बाद उसके पिता ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और उसकी जांच सीबीआई तक पहुंची । जिसमें केस तक दर्ज हुआ । सीबीआई को केस दर्ज करने में भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ी । तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार ने दो बार उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी ,जिसे सरकार ने नामंजूर कर दिया था। बाद में हाईकोर्ट के दखल के बाद सीबीआई पुलिस के खिलाफ कार्यवाही करने में सफल हुई थी।