तहसील मोहनलालगंज में भू-माफियाओं का दबदबा कायम
कोई मतलब नहीं है एसडीएम के आदेश का

यही कारण है कि उपजिलाधिकारी के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि उन्होंने अब तक कितनी सरकारी भूमि अवैध कब्जेदारों/भू- माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराई। सूत्रों से ज्ञात जानकारी के आधार पर यहां यह भी लिखना आवश्यक है कि उप जिलाधिकारी के आदेश को तामील कराने की जिम्मेदारी तहसील के जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के पास है वही भू- माफियाओं को यह बताते हैं कि ग्राम समाज की जमीन कहां-कहां है और कैसे कब्ज़ा करके बेची जा सकती है। इसके अलावा जब से “पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम” लागू हुआ है, जिला अधिकारी, उप जिलाधिकारी की पुलिस पर पकड़ कमजोर हुई है। इसी का फायदा उठाकर स्थानीय पुलिस के अधिकारी क्षेत्र में खनन करा रहे हैं और रात में जेसीबी जब्त करने के बजाय मुंह मांगी रकम वसूल रहे हैं। खनन कार्य करा रहे कई ठेकेदारों ने जन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस के एक अधिकारी रात में गाड़ी लेकर निकलते हैं और कभी हेड लाइट जलाते हैं तो कभी बुझाते हैं, इस प्रकार खनन कार्य में लगे लोगों तक पहुंचते हैं और अपना “हक” लेकर वापस आ जाते हैं। जबरौली गाँव के कई लोगों ने मुख्यमंत्री को संबोधित शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया कि भाजपा के लोग ही (लिखित में नाम बताकर) अवैध खनन का काम करा रहे हैं। इसीलिए पुलिस कोई कार्यवाही नही करना चाह रही है, ऐसे लोग ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की साख पर बट्टा लगाने का कार्य कर रहे हैं। जन एक्सप्रेस की पड़ताल जारी है, अभी बहुत कुछ है, जो अपने पाठकों के बीच लाना शेष है।
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