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चक्रवात के बाद तत्काल बिजली आपूर्ति होगी बहाल

गांधीनगर । मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बुधवार को गांधीनगर स्थित स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित कर ‘बिपरजॉय’ चक्रवात को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने चक्रवात के बाद उत्पन्न संभावित स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन की तैयारियों को लेकर आवश्यक सुझाव दिए। संभावित प्रभावित क्षेत्रों में अन्य जिलों से टीम बुलाकर तत्काल बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए। बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए पीजीवीसीएल की 597 टीमों को तैयार किया गया है। सब स्टेशनों में आवश्यक मात्रा में तार-खंभे भी उपलब्ध कराये गये हैं। बैठक में मुख्य सचिव सहित अन्य उच्च अधिकारी भी उपस्थित रहे।

केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग की क्षेत्रीय निदेशक मोहंती ने मौसम की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 15 जून को उत्तरी गुजरात के बनासकांठा, साबरकांठा, पाटण जैसे जिलों में भी बारिश होने की संभावना है।

राहत आयुक्त आलोक पांडे ने इस समीक्षा बैठक में जानकारी देते हुए कहा कि संभावित चक्रवात के परिणामस्वरूप राज्य में किसी भी प्रकार की जनहानि न हो इसके लिए राज्य सरकार द्वारा व्यापक तैयारियां की गई हैं। राज्य सरकार द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के कार्य पर जोर देते हुए अब तक 47 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने का कार्य अभी भी प्रगति पर है तथा बुधवार शाम तक यह कार्य 100 प्रतिशत पूर्ण हो जायेगा।

उन्होंने बताया कि जूनागढ़ जिले में अब तक 4462, कच्छ में 17,739, जामनगर में 8542, पोरबंदर में 3469, द्वारका में 4863, गिर सोमनाथ में 1605, मोरबी में 1936 और राजकोट में 4497 समेत कुल मिलाकर 47,113 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।

राहत आयुक्त ने कहा कि चक्रवात प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ की 17 और एसडीआरएफ की 12 टीमों को तैनात किया गया है। एनडीआरएफ की कच्छ में 4, देवभूमि द्वारका में 3, राजकोट में 3, जामनगर में 2 तथा जूनागढ़, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, मोरबी तथा वलसाड में एक-एक टीम तैनात की गयी है। इसके अलावा वडोदरा में 3 और गांधीनगर में 1 टीम को रिजर्व रखा गया है। एसडीआरएफ की कच्छ, जामनगर और देवभूमि द्वारका में दो-दो टीमें हैं, जबकि जूनागढ़, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, मोरबी, पाटण तथा बनासकांठा में एक-एक टीम तैनात है। इसके अलावा सूरत में एक टीम को रिजर्व रखा गया है। तूफान की संभावित स्थिति को देखते हुए इन जिलों में चार हजार से अधिक होर्डिंग हटा दिए गए हैं।

मुख्य सचिव राजकुमार ने इस संबंध में उत्तर गुजरात के जिलों के जिलाधीशों व प्रशासन को भी पूर्व में ही तैयारी के निर्देश दिए। पांडे ने कहा कि प्रभावित तटीय जिलों में सरकारी स्कूलों-कार्यालयों में सुरक्षित स्थानों पर शेल्टर होम तैयार किए गये हैं। जहाँ रहने, खाने और दवा सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गयी हैं। इसके अलावा आसपास के स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी व निजी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में मेडिकल स्टाफ व दवा सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है। जनरेटर सेट तथा अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं भी तैयार रखी गई हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि भारी वर्षा या चक्रवात के चलते संचार प्रणाली के प्रभावित होने की स्थिति में उससे निपटने के लिए सैटेलाइट फोन, हेम रेडियो ऑपरेटर, जी-स्वान नेटवर्क की सेवाएं भी एहतियात के तौर पर तैयार रखी गई हैं। इसके अलावा इन्ट्रा सर्कल पद्धति यानी मोबाइल सर्विस ऑपरेटरों को भी एहतियात के तौर पर वैकल्पिक टावर चालू रखने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बचाव कार्य के लिए संबंधित जिला प्रशासन को तत्काल हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए लगातार संपर्क में है।

 

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