विदेश

मानवाधिकारों के सम्मान से भारत की बात का वजन बढ़ सकता है

मुंबई। मानवाधिकारों के सम्मान के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाकर ही दुनियाभर में भारत की बात को स्वीकार्यता और विश्वसनीयता हासिल हो सकती है। मुंबई में ताज महल पैलेस होटल में 26/11 के आतंकवादी हमलों में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने के बाद गुतारेस ने यह भी कहा कि आतंकवाद से लड़ना वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए और किसी भी तरह के आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता। गुतारेस ने यहां आईआईटी-बंबई के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “मानवाधिकार परिषद का एक निर्वाचति सदस्य होने के नाते भारत पर वैश्विक मानवाधिकारों को आकार देने और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों समेत सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने और इन्हें बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा, “बहुलता का भारतीय मॉडल एक सरल लेकिन गहरी समझ पर आधारित है। विविधता एक ऐसी खूबी है जो आपके देश को मजबूत बनाती है। यह समझ रखना हर भारतीय का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसे हर दिन बेहतर, मजबूत बनाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी के मूल्यों को अपनाकर, सभी लोगों विशेष रूप से सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों तथा सम्मान को सुरक्षित व बरकरार रखकर, समावेश के लिए ठोस कदम उठाकर, बहु-सांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहु-जातीय समाजों के विशाल मूल्य और योगदान को पहचान कर, और अभद्र बयानबाजी की निंदा करके ऐसा किया जा सकता है।गुतारेस ने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षाविदों के अधिकारों व स्वतंत्रता की रक्षा करने और भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। आईआईटी में छात्रों के साथ बातचीत में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बड़ा नासूर करार दिया और हर देश में इससे निपटने के लिए आपातकालीन योजना बनाने का आह्वान किया। गुतारेस ने इस बात का भी उल्लेख किया कि सोशल मीडिया पर महिला कार्यकर्ताओं और राजनेताओं को निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपने संगठन के भीतर लैंगिक समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह स्वीकार करना होगा कि यही एक समस्या है जिसे मैं हल नहीं कर सका। कई लोगों का विचार है – और मैं इसका पूरा सम्मान करता हूं – (कि) संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद पर एक महिला को होना चाहिए।’’ जलवायु परिवर्तन उन्होंने कहा कि इसे हराने तथा वैश्विक तापमान को नियंत्रण में रखने के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते की आवश्यकता है।

गुतारेस ने कहा कि 80 फीसदी वैश्विक उत्सर्जन के लिए जी20 देश जिम्मेदार हैं और उन्हें ग्रीनहाउस गैसों की कटौती में सबसे आगे होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐतिहासिक समझौते की आवश्यकता है जिसमें विकसित देश वित्तीय और तकनीकी संसाधनों के साथ जलवायु परिवर्तन को हराने तथा तापमान को नियंत्रण में रखने के लिए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अतिरिक्त आवश्यकताओं के साथ संयुक्त प्रयास करने के लिए कड़ा समर्थन करें।’’ उन्होंने कहा कि जलवायु संकट सामूहिक विकास की आकांक्षाओं का सबसे बड़ा अवरोधक हो सकता है और भारत कोई अपवाद नहीं है। गुतारेस ने कहा कि यह पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था, कृषि एवं खाद्य क्षेत्र और करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य, जीवन और आजीविका के लिए गंभीर खतरा है।

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