चुनाव में मतदातों को रिझाने के लिए राजनीतिक दलों की ओर से की जाने वाली लुभावनी घोषणाओं को रेवड़ी कल्चर का नाम दिया गया है। जुलाई में देश के प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर बयान दिया था। जिसके बाद देश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बने रेवड़ी कल्चर पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने किया। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि मुफ्त उपहार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर बहस की जरूरत है। सीजेआई एनवी रमना का ने कहा कि मान लीजिए कि केंद्र एक कानून बनाता है कि राज्य मुफ्त नहीं दे सकते हैं, तो क्या हम कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए खुला नहीं है।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि उदाहरण के तौर पर गांवों में कोई रोजगार देता है और कोई साइकल देकर कहता है कि इससे जीवन बेहतर होगा। मेरा कहना है कि यह वाकई में हाशिए पर रहने वालों के लिए जरूरी है। किस तरह से अंतर रखा जाए। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव के दौरान किए गए वादे और उसके बाद के वादों को अलग रखा जा सकता है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के कल्याण के लिए हम इस मुद्दे को सुन रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ग्रामीण गरीबी से पीड़ित व्यक्ति के लिए मुफ्त उपहार महत्वपूर्ण हैं। जिस प्रश्न का निर्णय किया जाना है वह है – फ्रीबी क्या है और कल्याण क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि हम यह फैसला करेंगे कि मुफ्त की सौगात क्या है। अदालत ने कहा कि क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को मुफ्त सौगात माना जा सकता है। हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक मुफ्त सौगात क्या है।