उत्तराखंड

नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच कराने का सुझाव दिया

देहरादून ।  विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगने की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने तथा गड़बड़ी पाए जाने पर उन्हें निरस्त करने का सुझाव दिया। खंडूरी को लिखे एक पत्र में धामी ने विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों में अनियमितता के आरोपों का हवाला देते हुए कहा है कि विधानसभा एक गरिमामय, स्वायत्तशासी और संवैधानिक संस्था है और इस संस्था की गरिमा को बनाए रखना सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा की गरिमा, शुचिता और प्रदेश के युवा अभ्यर्थियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए विधानसभा सचिवालय की विवादित नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच कराना और अनियमितता पाए जाने की स्थिति में उन्हें रद्द करना उचित होगा। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को भविष्य में निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियों के लिए प्रावधान करने का भी सुझाव दिया है।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की गयी नियुक्तियों में अनियमितता के आरोपों की गहनता से हो रही जांच तथा आरोपियों के विरूद्ध की जा रही कड़ी कार्रवाई का जिक्र करते हुए धामी ने उम्मीद जताई कि विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों को लेकर चल रहे विवाद के दृष्टिगत वह इस पर विचार करेंगी। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने कहा था कि विधानसभा भर्तियों में अनियमिताताओं की जांच में राज्य सरकार पूरा सहयोग करेगी।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल जब पिछली विधानसभा में अध्यक्ष पद पर थे, उस दौरान भर्तियों में बड़े स्तर पर अनियमितताएं हुईं और उस दौरान राजनीतिक नेताओं के रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों को विधानसभा में नौकरियां बांटी गयीं। इस संबंध में इंटरनेट पर अग्रवाल के कार्यकाल की अवधि में हुई 74 भर्तियों की एक सूची भी प्रसारित हुई। इसके जवाब में, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा की गयी 178 भर्तियों की एक और सूची भी प्रसारित हुई।

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