
जन एक्सप्रेस चित्रकूट (ब्यूरो): मऊ-परदवां संपर्क मार्ग पर बन रहा लगभग ₹2.5 करोड़ की लागत वाला पुल महज ढाई घंटे में धराशायी हो गया। मंगलवार रात पुल की स्लैब डाली गई और बुधवार सुबह वह ज़मीन चाटते नज़र आई। ये नज़ारा सिर्फ़ पुल का नहीं, बल्कि उस भ्रष्ट व्यवस्था की पोल है, जहां कागज़ पर विकास होता है और ज़मीन पर ढहता है।
स्थानीय विधायक अविनाश चंद्र द्विवेदी ने इस पुल के निर्माण के लिए कई महीनों तक संघर्ष किया, प्रस्ताव पास करवाए, बजट लाए — लेकिन PWD विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। सवाल यह है कि पुल के गिरने से पहले क्या मटेरियल टेस्टिंग, क्वालिटी चेक और इंजीनियरिंग सुपरविजन जैसी बुनियादी प्रक्रिया भी हुई थी?
ग्रामीणों का कहना है कि पुल की नींव से लेकर स्लैब तक सब घटिया था। लोहे की जगह पतली तारें, सीमेंट की जगह धूल और रेत की जगह लालच का इस्तेमाल हुआ। जनता पूछ रही है कि क्या इसी दिन के लिए टैक्स देते हैं? और ये करोड़ों की योजनाएं जनता को सुविधाएं देने के लिए हैं या ठेकेदारों की जेब भरने के लिए?
#चित्रकूट_की_आवाज़ और स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि इस मामले में जांच कर दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो। वहीं प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। ये घटना सिर्फ़ एक पुल नहीं, बल्कि जनता के विश्वास के ढहने की भी है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।