देश

विश्वविद्यालय वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का निर्माण करे :राज्यपाल

Listen to this article

जयपुर । राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विश्वविद्यालय वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का निर्माण करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों को कौशल विकास से संबंधित शिक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए ‘विकसित भारत 2047’ की संकल्पना को साकार करने का आह्वान किया।

राज्यपाल मंगलवार को कोटा विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं विद्या वाचस्पति अभ्यर्थियों को गोल्ड मेडल एवं उपाधियां प्रदान करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में कन्या छात्रावास, धनवन्तरी भवन एवं बॉस्केबॉल, वॉलीबॉल, टेनिस कोर्ट का लोकार्पण भी किया।

राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं बल्कि नव जीवन का प्रारंभ है। यह वह अवसर है जब विद्यार्थी प्राप्त शिक्षा का राष्ट्र और समाज के उत्थान में उपयोग करने के लिए तैयार होता है।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने साक्षी जैन को कुलाधिपति पदक, पूजा साहू को कुलपति पदक, जबकि 60 छात्र-छात्राओं स्वर्ण पदक एवं 49 विद्यावाचस्पति उपाधियां प्रदान की। कोटा विश्वविद्यालय की ओर से कुल 88 हजार 692 उपाधियां प्रदान की गई हैं। इनमें 43 हजार 677 छात्र (49 प्रतिशत) एवं 45 हजार 15 छात्राएं (51 प्रतिशत) शामिल हैं।

राज्यपाल ने 51 फीसदी छात्राओं के उपाधि हासिल करने एवं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने पर खुशी जताते हुए कहा कि बेटियों को अवसर प्रदान किए जाएं तो वे किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। छात्राएं अपनी प्रतिभा का समुचित सदुपयोग कर निरंतर आगे बढ़ रही है। उन्होंने आव्हान किया कि छात्र-छात्राएं सामूहिक सहयोग से विकसित भारत का संकल्प पूरा करें।

उन्होंने कहा कि इस समय हमारा देश अपने अमृत काल में है। जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिली है और इस कार्यकाल ने भारत को एक महाशक्ति के रूप में उभारा है। भारत इस समय विश्व की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। भारत के भविष्य को गढ़ने के सबके प्रयास एक नए भारत की नींव का निर्माण करने वाले है। मुझे विश्वास है कि 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में समुचित विश्व का नेतृत्व करेगा।

राज्यपाल ने कहा कि नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल विकास आधारित शिक्षा पर केन्द्रित है। यह रोजगारोन्मुखी होने के साथ चरित्र-निर्माण, ज्ञान-विज्ञान व आध्यात्मिक विकास के साथ देश और समाज की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ी है।

कोटा विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत क्रेडिट आधारित सेमेस्टर प्रणाली लागू करने तथा इस ग्रेडिंग प्रणाली में सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के साथ-साथ नैतिक मूल्य आधारित कौशल विकास से संबंधित पाठ्यक्रमों पर विशेष ध्यान देने की उन्होंने सराहना की। उन्होंने कहा कि कोटा विश्वविद्यालय ने स्वयंपाठी विद्यार्थियों के लिए सतत् मूल्यांकन को जोड़कर प्रदेश में एक अनूठी पहल की है।

समारोह की शुरूआत में राज्यपाल ने संविधान की उद्देशिका एवं मूल कर्तव्यों का वाचन किया। दीक्षान्त भाषण में वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रो. ईना आदित्य शास्त्री ने कहा कि शिक्षा का ध्येय मात्र पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य है मनुष्य का चारित्रिक निर्माण तथा ज्ञान के माध्यम से उसके व्यक्तित्व का विकास है। विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रो. नीलिमा सिंह ने विश्वविद्यालय प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button