कानपुर

थाना बिधनू के ग्रामीण बोले ‘कुरिया चौकी हो बहाल’

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जन एक्सप्रेस संवाददाता
कानपुर नगर। बिधनू थाना क्षेत्र के कुरिया गांव में करीब एक सप्ताह पहले सडक़ हादसे में महिला की मौत पर आक्रोशित भीड़ ने कुरिया पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। यही नहीं तीन डंफरों पर भी आग लगा दी गयी थी। इस पर एसएसपी ने यह कहते हुए कि ग्रामीणों को पुलिस की जरुरत नहीं है और पुलिस चौकी को ही खत्म कर दिया। पुलिस अधिकारियों की इस कार्रवाई से ग्रामीणों में सुरक्षा का अभाव दिखने लगा और मंगलवार को दर्जनों ग्रामीण एसएसपी आफिस पहुंचकर पुलिस चौकी को दोबारा बहाल करने की मांग उठाई।
मिट्टी खनन में लगे डंपर से करीब एक सप्ताह पहले एक महिला की मौत हो गयी थी। महिला की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने कुरिया पुलिस चौकी के साथ सडक़ पर चल रहे तीन डंपरों को आग के हवाले कर दिया था। यह भी आरोप लगा था कि पुलिस की सह पर क्षेत्र में अवैध खनन किया जा रहा है और बेधडक़ डंपर सडक़ पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं। वहीं घटना के दो दिन बाद माहौल शांत होने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/डीआईजी डा. प्रीतिंदर सिंह ने पुलिस चौकी को ही हटा दिया। एसएसपी ने यह भी कहा था कि जब ग्रामीणों को पुलिस चौकी की जरुरत नहीं है तो पुलिस चौकी को रखने का मतलब ही नहीं है। एसएसपी की इस कार्रवाई से और गांव में हुए बवाल से ग्रामीण बेहद आहत हैं। मंगलवार को महिलाओं के साथ पुलिस कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने कहा है कि कुछ अराजक तत्वों की सजा पूरे गांव को दी जा रही है, यह ठीक नहीं है। उन्होंने कारिया गांव की चौकी को बहाल करने की मांग करते हुए आवाज बुलंद की। ग्रामीणों ने कहा कि 1982 में भी गांव करौली के लोगों ने चौकी पर पथराव किया था। उस समय गांव के लोगों ने पुलिसकर्मियों व चौकी की रक्षा की थी। इस बार यह सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आया। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद हिंसक प्रदर्शन करते हुए चौकी और डंपर फूंकने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस चौकी के बंद होने से स्थानीय स्तर पर लोगों में सुरक्षा का अभाव बना हुआ है। पढ़ाई करने वाले युवक और युवतियों में रास्ते में अनहोनी की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों ने एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव से मिलकर चौकी को दोबारा बहाल करने की मांग की है। एसपी ग्रामीण ने आश्वासन दिया कि पुलिस चौकी की बहाली को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा। इस दौरान राम शंकर, पीपी सिंह, चमन बाबू, राम रती, नूरन, बाबू राम आदि ग्रामीण मौजूद रहे।

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