आप सच्चाई को किताबों में बदल सकते हैं, देश के इतिहास को नहीं

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की राजनीतिक विज्ञान की किताब से कुछ संदर्भों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। हालांकि, पूरे मामले पर एनसीईआरटी ने साफ तौर पर कहा है कि गैरजरूरी चीजों को हटाया गया है। लेकिन पूरे मामले पर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप सच्चाई को किताबों में बदल सकते हैं लेकिन देश के इतिहास को नहीं बदल सकते। उन्होंने कहा कि आरएरएस-भाजपा कुछ ऐसा ही करने की कोशिश कर रही है। लेकिन ये कितनी भी कोशिश कर लें, इतिहास मिटने वाला नहीं है। कांग्रेस ने तंज भरे लहते में सवाल पूछा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद लौह पुरुष सरदार पटेल ने किस संगठन को बैन किया?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर साफ तौर पर कहा कि प्रतिशोध की भावना के साथ इतिहास बदला जा रहा है। कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा कि इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वाले खुद इसके कूड़ेदान में पहुंच जाते हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि इतिहास का पुनर्लेखन आरएसएस और भाजपा का हमेशा से प्रयास रहा है। आप इतिहास को तोड़-मरोड़ सकते हैं, लेकिन इसे मिटा नहीं सकते हैं। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जो इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश करते हैं वो खुद इतिहास के कूड़ेदान में पहुंच जाते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी की आजादी के आंदोलन में सबसे कारगर भूमिका यह थी कि उन्होंने हिंदू-मुसलमान एकता के लिए संघर्ष किया। इसी के चलते आरएसएस से प्रेरित एक सिरफिरे ने गांधी जी की हत्या की। इस सिरफिरे का नाम नाथूराम गोडसे था। इसके बाद सरदार पटेल ने आरएसएस को प्रतिबंधित किया था।’’
गोडसे ने गांधी को इसलिए मारा क्योंकि वे हिंदू-मुस्लिम एकता के कायल थे, RSS पर बैन, लोकतंत्र आदि पर जो भी था वो सब निकाल दिया। BJP करना क्या चाहती है?…आप नफरत सीखा रहे हैं, आपने मुगलों को निकाल दिया, क्या बचेगा फिर? एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े कुछ अंशों को बिना कोई अधिसूचना जारी किये हटाने पर उठे विवाद के बीच परिषद के प्रमुख दिनेश सकलानी ने बुधवार को कहा कि यह अनजाने में चूक हो सकती है कि पिछले वर्ष पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाने की कवायद में कुछ अंशों को हटाने की घोषणा नहीं की गई।