मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप “सिटी ऑफ नॉलेज” बन रहा गोरखपुर
गोरखपुर । सीएम सिटी गोरखपुर अब नॉलेज सिटी भी बन रहा है। यह देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो चुका है जहां चार विश्वविद्यालय हैं। इस शहर की शिक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों की फेहरिस्त में अब सैनिक स्कूल भी जुड़ गया है। अगले साल यहां स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की सौगात भी मिल जाएगी। प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, व्यावसायिक, प्रबंधकीय, हॉस्पिटैलिटी समेत किसी भी विशिष्ट प्रकार की शिक्षा के लिए गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही सीमावर्ती बिहार और नेपाल के लिए उम्मीदों का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
गोरखपुर में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव महज चंद सालों में देखने को मिला है। इस बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। योगी आदित्यनाथ नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। शैक्षिक उन्नयन के प्रति ऊर्जस्वित विचार उन्हें अपनी पीठ से विरासत में मिला है। गोरखपुर को केंद्र में रखकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक क्रांति में गोरक्षपीठ और इसके दो पीठाधीश्वरों ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की बड़ी भूमिका मानी जाती है। योगी आदित्यनाथ इसी भूमिका का फलक और व्यापक कर रहे हैं। संसदीय कार्यकाल से ही उनकी मंशा गोरखपुर को नॉलेज सिटी के रूप में विकसित करने की थी और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद यह तेजी से साकार होती गई है।
अब पूर्वांचल के जवान फौज में अफसर भी बन सकेंगे
सीएम योगी के प्रयासों से गोरखपुर में सैनिक स्कूल भी बन गया है और इसी सत्र से इसमें पढ़ाई भी होने लगी है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला और उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा संचालित प्रदेश का दूसरा सैनिक स्कूल है। यह बताने की जरूरत नहीं कि सैनिक स्कूल किसी भी क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि है। गोरखपुर में सैनिक स्कूल बन जाने से अब सैन्य सेवाओं में अवसरों के लिए क्षेत्रीय संतुलन बढ़ेगा। सैनिक स्कूल को सीएम योगी ने ड्रीम प्रोजेक्ट मानकर बनाया है। इसका उद्घाटन 7 सितंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। अब पूर्वांचल के युवा सेना और अर्द्ध सैनिक बलों में सिर्फ जवान ही नहीं, सैनिक स्कूल में बेहतर प्रशिक्षण पाकर अधिकारी भी बनेंगे।
सात साल में योगी ने दिए शहर को दो विश्वविद्यालय
वैसे उच्च शिक्षा के मानकों पर बात करें तो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर की ख्याति दो विश्वविद्यालय (दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) वाले शहर की थी। इसमें भी दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में गोरक्षपीठ नींव की ईंट की तरह है जिसने अपने महाविद्यालय की संपत्ति विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए दे दी थी। बहरहाल, अब गोरखपुर के नाम में इन दो विश्वविद्यालयों के अलावा दो और विश्वविद्यालय जुड़ गए हैं। इनमें से एक आयुष की सभी चिकित्सा पद्धतियों के शिक्षण वाला महायोगी गुरु गोरखनाथ राज्य आयुष विश्वविद्यालय है तो दूसरा निजी क्षेत्र का महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय। आयुष विश्वविद्यालय तो पूरे प्रदेश में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है। जबकि निजी क्षेत्र के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने कम समय में ही चिकित्सा, नर्सिंग, पैरामेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित कर लिया है।
इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट बदले गोरखपुर की मांग थी
बीते कुछ सालों में गोरखपुर उच्च शिक्षा के तकरीबन सभी आयामों से समृद्ध है। बस अभाव था तो सिर्फ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई का। सीएम योगी ने यह कमी भी दूर कर दी है। उनके हाथों शिलान्यास के बाद गोरखपुर के गीडा में स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट का निर्माण कार्य जारी है। सितंबर 2025 में यह बनकर तैयार हो जाएगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा का एक और बेहतरीन विकल्प मिल जाएगा