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पड़ोसी देश मालदीव को भारत से मिलने जा रही है मदद …

India Export: संबंधों में खटास आने के बाद भी पड़ोसी देश मालदीव को भारत से मदद मिलने जा रही है. भारत सरकार ने मालदीव को चावल और गेहूं समेत कुछ जरूरी कमॉडिटीज का निर्यात करने की मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी संबंधित कमॉडिटीज के निर्यात पर लगी रोक के बाद भी दी गई है.

मालदीव ने किया था अनुरोध
एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने मालदीव को जिन जरूरी कमॉडिटीज के निर्यात की मंजूरी दी है, उनमें चावल और गेहूं के अलावा प्याज और चीनी भी शामिल है. बताया जा रहा है कि मालदीव ने इसके लिए भारत से अनुरोध किया था. मालदीव का अनुरोध मिलने के बाद भारत सरकार ने उस पर विचार किया और सीमित मात्रा में निर्यात की मंजूरी दे दी.

इन कमॉडिटीज का बड़ा निर्यातक
भारत चावल, चीनी और प्याज के मामले में दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल है. कई पड़ोसी देश खाने-पीने की इन जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए भारत के ऊपर निर्भर करते हैं. अभी घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के लिए इनके निर्यात पर पाबंदी लगी हुई है. सरकार विशेष मामलों के आधार पर इन कमॉडिटीज के शिपमेंट को मंजूर कर रही है.

भारतीय उच्चायोग का बयान
रिपोर्ट में माले (मालदीव की राजधानी) स्थित भारतीय उच्चायोग के एक बयान के हवाले से कहा गया है- भारत सरकार ने मालदीव की सरकार के अनुरोध पर 2024-25 में इन कमॉडिटीज के निर्यात की मंजूरी दी. यह निर्यात बाइलैटरल मैकेनिज्म के तहत होगा. उच्चायोग के अनुसार, इन कमॉडिटीज की जितनी मात्रा के निर्यात को मंजूर किया गया है, वह 1981 में बाइलैटरल मैकेनिज्म के अस्तित्व में आने के बाद से सबसे ज्यादा है.

मालदीव को मिलेगी इतनी आपूर्ति
दी गई मंजूरी के अनुसार, 2024-25 के दौरान मालदीव को भारत से 35,749 टन प्याज और 64,494 टन चीनी की आपूर्ति मिलेगी. इसी तरह भारत की ओर से मालदीव को 1 लाख 24 हजार 218 टन चावल और 1 लाख 9 हजार 162 टन गेहूं की भी आपूर्ति की जाएगी. इनके अलावा मालदीव को भारत 10-10 लाख टन रिवर सैंड और स्टोन एग्रीगेट्स की भी आपूर्ति करेगा.

अभी निचले स्तर पर हैं संबंध
यह इस कारण अहम हो जाता है, क्योंकि अभी भारत और मालदीव के संबंधों में खटास आई हुई है. मालदीव की मौजूदा सरकार के बारे में माना जा रहा है कि वह चीन के प्रति झुकाव रखती है. मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने दशकों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए हाल ही में चीन का दौरा किया. दशकों से ऐसी परंपरा रही है कि मालदीव के नए राष्ट्रपति का पहला विदेशी दौरा भारत का होता है. वहीं मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अशोभनीय टिप्पणी करने से स्थितियां ज्यादा खराब हो गईं. उसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव के बॉयकाट का अभियान चला. पर्यटन पर केंद्रित अर्थव्यवस्था वाले मालदीव को भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार से गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं.

 

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