लखनऊ की आरजीटी कंपनी और इसके प्रॉपर्टी डीलरों की कारगुज़ारियां

जन एक्सप्रेस/लखनऊ: लखनऊ नवाबी तहज़ीब और सादगी के लिए जाना जाने वाला शहर, इन दिनों एक बड़ी धोखाधड़ी की कहानी का गवाह बन रहा है। शहर की एक चर्चित प्रॉपर्टी फर्म – आरजीटी (RGT) कंपनी – ने अपने लालची प्रॉपर्टी डीलरों के ज़रिए सैकड़ों मेहनतकश लोगों की गाढ़ी कमाई को लूटने का काम किया है।
वादों का महल, ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर
आरजीटी कंपनी ने विज्ञापनों और मीठी बातों के ज़रिए लोगों को बेहतरीन लोकेशन पर प्लॉट देने के झूठे सपने दिखाए। EMI योजनाओं, नक्शों और फर्जी रजिस्ट्री पेपरों के दम पर लोगों को भरोसा दिलाया गया कि उनका निवेश सुरक्षित है। लेकिन वक़्त के साथ पता चला कि ज़मीन पर न कोई प्लॉट था, न कोई वैध कागज़ात – बस वादों का महल था जो ढह चुका था।
डीलरों का मायाजाल
इस ठगी के पीछे कंपनी के एजेंट्स और डीलर ही असली खिलाड़ी हैं। ये लोग मोहल्लों, कॉलोनियों और कस्बों में घूमकर भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाते हैं। झूठे नक्शे, नकली अप्रूवल और भारी रिटर्न का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ऐंठते हैं। जब ग्राहक सवाल पूछता है, तो उसे धमकाया या टाल दिया जाता है।
प्रशासन की चुप्पी और पीड़ितों की लड़ाई
इस पूरे मामले में सबसे चिंता की बात है – प्रशासन की चुप्पी। शिकायतों के बावजूद आरजीटी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। दूसरी ओर, जिन लोगों ने अपनी ज़िंदगी भर की पूंजी इन फर्जी वादों पर लगा दी, वे अब न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आरजीटी जैसी कंपनियां सिर्फ पैसे नहीं, लोगों के सपने, भरोसा और भविष्य चुराती हैं। अब वक़्त है कि हम आवाज़ उठाएं, सिस्टम को जवाबदेह बनाएं, और ऐसी धोखेबाज़ी के खिलाफ एक मज़बूत लड़ाई लड़ें।