राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन दाखिल करने बाद दी प्रतिक्रिया…
नई दिल्ली : 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी थी और खुद रायबरेली से चुनाव लड़ने चली गईं. दो दशकों बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली की सीट छोड़ी और राज्य सभा से संसद पहुंचीं तो कांग्रेस ने एक बार फिर उनकी सीट यानी रायबरेली से उनके बेटे यानी राहुल गांधी को ही उतारने का फैसला लिया.
राहुल गांधी ने रायबरेली से पर्चा भरते हुए सियासी गलियारों में चल रही तमाम चर्चाओं पर पूर्ण विराम लगा दिया. हालांकि इन चर्चाओं के बीच अमेठी की वो सीट भी राहुल गांधी ने छोड़ दी, जिसको पारंपरागत तौर पर सोनिया ने राहुल गांधी को दो दशक पहले सौंपा था.
2019 में अमेठी सीट से हार गए थे राहुल गांधी
अमेठी से एक सांसद के तौर पर राहुल गांधी का संबंध तो पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में ही टूट गया था, जब बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि कयास ये लगाए जा रहे थे कि राहुल गांधी फिर एक बार अमेठी की सीट से ताल ठोकेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अमेठी की सीट छूटी तो राहुल गांधी भी इमोशनल हो गए. रायबरेली पर दावेदारी अपनाते हुए जब उनकी पहली प्रतिक्रिया आई तो वो अमेठी पर भी बोल ही गए.
‘अमेठी और रायबरेली मेरे लिए अलग-अलग नहीं’
राहुल गांधी ने रायबरेली के नामांकन को भावुक पल बताया और इस सीट को अमेठी से जोड़ते हुए बोल गए, ‘अमेठी और रायबरेली मेरे लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही मेरा परिवार हैं.’ राहुल के बाद भी कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी नेता किशोरी लाल को अमेठी से उम्मीदवार बनाया है. राहुल गांधी इसका जिक्र करते हुए बताते हैं कि उन्होंने अपने करीबी को टिकट देते हुए अभी भी अमेठी को अपने करीब ही रखा है.
वो आगे कहते हैं, ‘मुझे खुशी है कि 40 साल से इस क्षेत्र की सेवा कर रहे किशोरी लाल अमेठी से पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे.’ इसी के साथ राहुल गांधी अमेठी को छोड़ रायबरेली की और मुड़ गए. हालांकि अमेठी से अपना नाता दिखाने के लिए पूरा गांधी परिवार परंपरागत सीट पर एक साथ उतरा, तो वहींं कांग्रेस और गांधी परिवार के इस फैसले के बाद बीजेपी की तरफ से कई तीखे वार किए जा रहे हैं