
जन एक्सप्रेस/देहरादून(उत्तराखण्ड) : “उम्र सिर्फ एक नंबर होती है” — इस बात को हकीकत में बदलकर दिखाया है उत्तराखंड की 66 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी निर्मला नेगी ने, जिन्हें आज लोग प्यार से ‘शटलर दादी’ कहने लगे हैं। श्रीलंका में आयोजित सीलोन मास्टर्स इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने भारत का झंडा गर्व से ऊँचा कर दिया।
तीन मेडल जीतकर रच दिया इतिहास
निर्मला नेगी ने इस चैंपियनशिप में, डबल इवेंट में गोल्ड मेडल, 130 प्लस वर्ग में सिल्वर मेडल और व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया।
इस शानदार प्रदर्शन पर मास्टर्स स्पोर्ट्स फेडरेशन के अध्यक्ष विपिन बलूनी ने उन्हें बधाई दी और कहा, “निर्मला ने साबित किया कि जुनून और हौसला हो, तो उम्र कभी रुकावट नहीं बनती।”
श्रीलंका से जर्मनी तक, अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाई चमक
6 से 9 जून तक चली इस चैंपियनशिप में श्रीलंका, जर्मनी, मलेशिया, हांगकांग समेत कई देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर निर्मला नेगी अकेली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं जिन्होंने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया।
पहले भी चमका चुकी हैं मेडल का सितारा
निर्मला नेगी इससे पहले भी चंडीगढ़ मास्टर्स प्रतियोगिता में गोल्ड और गोवा की योनेक्स सनराइज प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
अब उनकी अगली मंजिल है सितंबर में थाईलैंड, जहाँ वह वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
शटलर दादी’ बनीं प्रेरणा का स्रोत
एक उम्र जहां लोग रिटायरमेंट की सोचते हैं, उस उम्र में निर्मला नेगी देश के लिए खेल रही हैं। उनकी मेहनत और जीत ने साबित कर दिया कि सपने कभी बूढ़े नहीं होते, और हौसले की कोई उम्र नहीं होती।