धर्मस्थलों से जुड़ा कोई भी नया मुकदमा अब दायर नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर अहम फैसला सुनाया

जन एक्सप्रेस/लखनऊ। धर्मस्थलों से जुड़ा कोई भी नया मुकदमा अब दायर नहीं होगा। साथ ही, कोई भी कोर्ट ऐसे मामलों में न सर्वे का आदेश जारी करे और न ही कोई ऑर्डर दे। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। उच्चतम न्यायालय ने देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। यूपी में इस तरह के सबसे ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।
इस निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश में चल रहे सभी धार्मिक मामलों में लगाम लग सकती है। पूरे देश में धार्मिक स्थल से जुड़े मुकदमे जिस राज्य में ज्यादा चल रहे हैं, वह यूपी है। इन मामलों में सबसे पहला नंबर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का आता है। इसके बाद जिन धार्मिक स्थलों पर मुकदमा चल रहा है, उनमें मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि और संभल की जामा मस्जिद का नाम शामिल है।
आस्था के इन केंद्रों पर भी छिड़ा है विवाद
जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर स्थानीय अदालत में अक्टूबर 2024 में दायर याचिका का उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने विरोध किया। स्वराज वाहिनी ने कहा कि 1408 में फिरोज शाह तुगलक ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी।
वहीं, फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर दावा किया गया कि कामाख्या देवी के मंदिर को तोड़कर इसे बनाया गया। मामला लंबित है। हिंदू महासभा के संयोजक मुकेश पटेल ने दो साल पहले बदायूं की शम्सी मस्जिद को नीलकंठ महादेव बताया। सुनवाई होना बाकी है। इसके साथ ही, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद को लेकर दायर याचिका में कहा गया कि औरंगजेब ने भगवान शेषनागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी।
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