मानिकपुर सीएचसी पर प्रसूताओं को नहीं मिलता भोजन व नाश्ता

- मानिकपुर CHC में प्रसूताओं को खाना न देने की शिकायत पर हॉस्पिटल पहुंचे थे ब्लाक प्रमुख
जन एक्सप्रेस संवाददाता | चित्रकूट
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती प्रसव पीड़ित महिलाओं को दवा तो दूर की बात है दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रदेश सरकार जितनी गंभीर दिख रही है, उतनी ही जिम्मेदारों द्वारा सुविधाओं पर पलीता लगाया जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जच्चा-बच्चा वार्ड में भर्ती महिला को प्रसव के बाद कुछ खाने-पीने को नहीं मिला। जबकि सीएचसी प्रशासन का दावा है कि,नाश्ता और खाना दिया जाता है। बायोमेडिकल कचरा भी बिखरा मिला साथ ही शौचालय साफ नहीं मिले। सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए हॉस्पिटलों में उनके संपूर्ण इलाज व खाने की व्यवस्था के लिए मेन्यू के हिसाब से रोजाना खाने की व्यवस्था किए जाने के सख्त आदेश है। जिसमे मौसमी सब्जी , फल के साथ साथ 200ml दूध देने का आदेश है। लेकिन मानिकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही हैं। जहां हॉस्पिटल में प्रसूता ओं के लिए खाने की व्यवस्था ना होने वह हॉस्पिटल परिसर में फैली गंदगी की शिकायत पर सोमवार को मानिकपुर ब्लाक प्रमुख अरविंद मिश्रा मानिकपुर सीएचसी पहुंच व्यवस्थाओं का जायजा लिया। जहां उन्होंने देखा कि भर्ती प्रसूता महिलाओं के लिए भोजन की समुचित व्यवस्था समुचित नहीं मिली। नाही हॉस्पिटल परिसर में साफ-सफाई ही दिखी। इस मामले को लेकर उनके द्वारा सीएमओ से शिकायत की है। बातचीत में उन्होंने कहा कि जल्द ही व्यवस्थाओं में अगर सुधार नहीं हुआ तो मामले की शिकायत मुख्यमंत्री जी से की जाएगी। जिले में यह हाल तब है जब सरकार प्रसव पीड़िताओं की सेहत को लेकर काफी गंभीर हैं और जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है। इसके बाद अस्पतालों में तैनात जिम्मेदार इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते अस्पताल में भर्ती होने वाली प्रसव पीड़िताओं के लिए तीमारदार घर से खाना लाने के लिए मजबूर हैं। जिले के कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का यही हाल है। इस संबंध में जब यहां पर भर्ती प्रसव पीड़िताओं से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें न तो नाश्ता दिया जाता है और न ही भोजन।