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राष्ट्रपति के अभिभाषण में बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और सामाजिक न्याय का जिक्र नहीं: खड़गे

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राष्ट्रपति के अभिभाषण में प्रस्तुत देश की सुनहरी तस्वीर पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि इसमें बेरोजगारी,महंगाई,गरीबी जैसी समस्याओं के समाधान और सामाजिक न्याय की क्षीण होती जा रही व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में शुक्रवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में उनकी सरकार पर आरोप लगाया कि वह संविधान तथा नियमों की धज्जी उडाते हुए देश में लोकतंत्र को खत्म करने में लगी है जबकि कांग्रेस के लंबे शासनकाल की बदाैलत सामाजिक ढांचे तथा लोकतंत्र को मजबूती मिली।

उन्होंने कहा कि देश को विकसित बनाने की बात की जा रही है लेकिन समाज को विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि जब समाज विकसित होगा तो ही देश भी विकसित होगा। नेता विपक्ष ने कहा कि इस सरकार में सब कुछ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इर्द गिर्द घूमता है और इन्हीं की बदौलत भाजपा के सभी नेता सांसद और विधायक बन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों को हर रोज गारंटी दे रहे हैं और सभी अखबारों के विज्ञापन में भी इसी तरह की गारंटी छप रही हैं। सरकार की ओर से देश भर में 1500 वैन भेजी गयी हैं उन पर भी मोदी की गारंटी लिखा हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों में 142 योजनाएं शुरू की हैं जिनमें से 20 के नाम में प्रधानमंत्री जुड़ा हुआ है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि नारा दिया जा रहा है कि इस बार 400 के पार लेकिन सरकार को यह नहीं पता कि ‘इंडिया’ मजबूत हो रहा है और आप इस बार सौ के आंकड़े को भी पार नहीं कर पायेंगे। खड़गे ने कहा कि अभिभाषण में देश में विकराल रूप ले रही बेरोजगारी की समस्या के बारे में कुछ नहीं कहा गया जबकि बेरोजगारी की दर 13.4 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है और बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रधानमंत्री बहुत अच्छे भाषण देते हैं और युवा इससे आकर्षित भी होते हैं लेकिन उनका पेट भूखा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 4500 रिक्तियों के लिए दस लाख आवेदन आये जिससे पता चलता है कि बेरोजगारी की हालत क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को एक के बाद एक खत्म कर रही है जिससे नौकरी भी खत्म हो रही है। उन्होंने दावा किया कि अभी देश में तीस लाख रिक्तियां हैं।

उन्होंने कहा कि पहले ट्रेड यूनियन सरकार का विरोध करती थी लेकिन अब वे भी नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि इन उपक्रमों को बंद किये जाने के बजाय उनकी समस्या का समाधान किया जाना चाहिए। नेता विपक्ष ने कहा कि देश में महंगाई के कारण हाहाकार है और तेल, आटा , चावल जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम दोगुने हो गये।

उन्होंने कहा कि वास्तविक स्थिति में महंगाई की दर इकाई में और विकास की दर दहाई में होनी चाहिए लेकिन देश में महंगाई की दर दहाई में है और सरकार इस पर कुछ नहीं बाेलती। जब उन्होंने विभिन्न वस्तुओं के दाम दोगुने होने का दावा करते हुए वस्तुओं के मूल्य बताने शुरू किये तो सत्ता पक्ष ने इसका विरोध किया जिस पर सभापति ने कहा कि नेता विपक्ष को इन आंकड़ों को सत्यापित करना होगा।

खड़गे ने कहा कि देश में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना कराया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित नहीं है क्योंकि इससे पता चलेगा कि किस जाति में लोगों की क्या स्थिति है। इसके आधार पर योजना बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर जाति जनगणना करायेगी क्याेंकि यह देश देश की जनता की मांग है।

कांग्रेस नेता ने सरकार पर आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में बढने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का वादा किया था जबकि उनकी आमदनी में सालाना 1.5 प्रतिशत की गिरावट हुई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को विफल बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे केवल एजेन्ट को फायदा होता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि दो करोड़ 33 लाख किसानाें को योजना से निकाल दिया गया है। खड़गे ने कहा कि देश में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है। विशेष रूप से महिला पहलवानों के मामले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विभिन्न विषयों पर घंटों बोलते हैं लेकिन वह मणिपुर पर कुछ नहीं बोले और न ही वहां गये।

उन्होंने अभिभाषण में दिये गये कुछ आंकड़ों पर भी सवाल उठाये और कहा कि प्रधानमंत्री असत्य को सत्य बनाने में प्रवीण हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में देश में साक्षरता दर 73 प्रतिशत थी जो अब 76 प्रतिशत है। देश में जीवन प्रत्याशा कम हो गयी है। देश में वर्ष 2014 में 94 हवाई अड्डे थे जो अब बढकर 149 हो गये हैं जो दोगुना नहीं है।

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