उत्तर प्रदेशमहराजगंजहेल्थ

जिला अस्पताल में पहली बार घुटने और स्पाइन की सफल सर्जरी

जन एक्सप्रेस/महराजगंज : जिला अस्पताल महराजगंज ने चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। पहली बार यहां घुटने और स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। यह उपलब्धि जिला अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विकास कुमार और उनकी समर्पित टीम के प्रयासों से संभव हो सकी। जहां अब तक ऐसे ऑपरेशन के लिए मरीजों को लखनऊ या गोरखपुर जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था, वहीं अब यह सुविधा जिले में ही उपलब्ध हो गई है। इस ऐतिहासिक पहल से आम लोगों का सरकारी चिकित्सा प्रणाली में विश्वास और भी मजबूत हुआ है।
जनपद का जिला अस्पताल ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जहां लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। मामला जिला अस्पताल का है जहां एक नहीं बल्कि तीन तीन मरीजों का सफ़ल आपरेशन किया गया है। मरीजों के परिजनों ने आस लगाना छोड़ दिया था कि वो कभी ठीक होगें लेकिन वहीं उम्मीद जगाई जिला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ आर्थों सर्जन डॉ विकास कुमार से। उन्होंने और उनकी टीम ने जिला अस्पताल में पहली बार घुटने व स्पाइन का सफल आपरेशन किया।
जिसके बाद परिवारजनों के आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए और डॉक्टर और उनकी टीम को थैंक्यू कहा।
जन एक्सप्रेस संवाददाता से बातचीत के दौरान डॉ० विकास कुमार ने बताया की हड्डी रोगों में स्पाइन और जोड़ प्रत्यारोपण सबसे जटिल सर्जरी मानी जाती है। यह जिला अस्पताल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हमारी टीम ने पूरी मेहनत और समर्पण से यह कार्य किया है।

तीन मरीजों की सफल सर्जरी:

  • पहला मामला: एक अधेड़ उम्र के मरीज के घुटनों की सभी लिगामेंट्स (धागे) टूट चुके थे। दूरबीन विधि से सर्जरी कर उन्हें दोबारा चलने में सक्षम बना दिया गया।
  • दूसरा मामला: एक किशोर सड़क दुर्घटना में बाइक की ठोकर से गंभीर रूप से घायल हो गया था। रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण उसके दोनों पैर सुन्न हो चुके थे। डॉ. विकास कुमार की टीम ने जटिल स्पाइन सर्जरी कर उसे पुनः जीवनदान दिया।
  • तीसरा मामला: 80 वर्षीय बुजुर्ग का पैर फिसलने से कुल्हा टूट गया था। डॉक्टर विकास कुमार और टीम ने हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कर उनका कुल्हा सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। महज 15 दिन बाद वह अपने पैरों पर खड़े हो सके और चलने-फिरने लगे।

सरकारी अस्पतालों से उम्मीदें फिर जगी:
सर्जरी के बाद मरीजों और उनके परिजनों की आँखों में खुशी के आँसू थे। उन्होंने डॉक्टर और उनकी टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब उन्हें निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

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