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दिवाली पर इंसानियत शर्मसार! चित्रकूट के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर ने ₹200 के बिना नहीं लगाए टांके, मासूम तड़पता रहा, पिता गिड़गिड़ाता रहा!

जन एक्सप्रेस मानिकपुर चित्रकूट(हेमनारायण हेमू): एक तरफ योगी सरकार गरीबों को मुफ्त इलाज और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करती नहीं थकती, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दिवाली जैसे पावन पर्व पर जब हर घर में रोशनी जल रही थी, तब भैरमपुर मानिकपुर निवासी एक गरीब पिता अपने खून से लथपथ मासूम को लेकर सरकारी अस्पताल की चौखट पर उम्मीद लिए खड़ा था — लेकिन वहां इंसानियत का दीया बुझ चुका था।मानिकपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर ने खुलेआम रिश्वत की मांग की। पिता बार-बार हाथ जोड़ता रहा, लेकिन डॉक्टर ने साफ शब्दों में कह दिया — “₹200 दोगे तभी टांके लगाएंगे, वरना जाओ जहां जाना है।” आखिर उस मासूम का क्या कसूर था?सूत्रों के मुताबिक, बच्चा गंभीर रूप से घायल था और तत्काल टांके लगने की जरूरत थी। लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने न सिर्फ इलाज से इंकार कर दिया, बल्कि घायल बच्चे को बिना प्राथमिक उपचार के ही लौटा दिया। दिवाली की रात जब रोशनी हर अंधेरे को मिटा रही थी, तब इस पिता की दुनिया अंधेरे में डूबती चली गई।

यह है उत्तर प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की असलियत।

क्या यही है “स्वस्थ यूपी” की हकीकत?क्या गरीब होना अब गुनाह बन चुका है?प्रशासन से सवाल पूछा जाना चाहिए —
दोषी डॉक्टर पर क्या कार्रवाई होगी?क्या गरीबों को इलाज के लिए अब भीख मांगनी पड़ेगी?क्या योगी सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं सिर्फ कागजों में हैं?यह कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन कब तक ये आखिरी नहीं बन पाएंगी?सरकार को अब जवाब देना होगा।

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