CJI ने या चिका पर सुनवाई से किया इनकार
मणिपुर- नई जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें अन्य बातों के अलावा कथित पोस्ते की खेती और नार्को-आतंकवाद की एसआईटी जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस पर विचार करना बहुत कठिन है क्योंकि इसमें केवल एक समुदाय को दोषी ठहराया गया। याचिकाकर्ता मायांगलांबम बॉबी मीतेई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान ने याचिका वापस लेने की मांग की और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी गई।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विचार करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह एक समुदाय पर दोषारोपण करती है। आप अधिक विशिष्ट याचिका के साथ आ सकते हैं। इस याचिका में हिंसा से लेकर नशीले पदार्थों से लेकर वनों की कटाई तक सब कुछ है। पीठ ने कहा कि दीवान ने हाल की हिंसा के लिए सीमा पार आतंकवाद और राज्य में पोस्ता की खेती को जिम्मेदार बताया।
दलील नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और एनएचआरसी के साथ-साथ राज्य सरकार सहित अन्य पक्षों द्वारा दी गई है। पीठ के समक्ष मणिपुर हिंसा के कई पहलुओं से संबंधित अन्य याचिकाएं भी हैं। 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कम से कम 150 लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं