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तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में देश विश्वभर में अग्रणी बनेः राष्ट्रपति

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जयपुर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में देश विश्वभर में अग्रणी बने। इसके लिए प्रौद्योगिकी संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सभी मिलकर कार्य करें। उन्होंने राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को शोध अनुसंधान में मौलिक दृष्टि के साथ कार्य करने, पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने और विकसित भारत की संकल्पना के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का आह्वान किया।

राष्ट्रपति मुर्मु बुधवार को एमएनआईटी के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने इस समारोह में 20 में से 12 स्वर्ण पदक छात्राओं को मिलने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि लड़कियां आगे बढ़ती हैं तो देश तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि शोध अनुसंधान में भी छात्राएं आगे रहती हैं तो इससे देश वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहेगा। उन्होंने संस्थान की फैकल्टी में एक तिहाई महिलाएं होने को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि देश के प्रौद्योगिकी संस्थानों को इसीलिए नेशनल इंस्टीट्यूट के रूप में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है कि इनके जरिए भारत तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़े।

उन्होंने समारोह में 79 छात्रों को पीएचडी की उपाधि और 805 स्नातक एवं 477 स्नातकोत्तर के छात्रों को डिग्री प्रदान की। उन्होंने 20 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए। उन्होंने अरावली छात्रावास का लोकार्पण भी किया। उन्हाेंने कहा कि रिसर्च और डवलपमेंट के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी न केवल देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि हमारी बेटियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी आवश्यक है। हाल के वर्षों में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है। यह भी एक सराहनीय तथ्य है कि एमएनआईटी की फैकल्टी में लगभग एक-तिहाई महिलाएं हैं। विश्वास है कि आने वाले वर्षों में यह अनुपात और भी बेहतर होगा। चौथी औद्योगिक क्रांति के इस दौर में चुनौतियों के साथ नए-नए अवसर भी आ रहे हैं। इन अवसरों का लाभ उठा कर भारत को टेक्नाेलाॅजी के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनाने में हमारे तकनीकी संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि आपके संस्थान का ध्येय वाक्य है “योगः कर्मसु कौशलम्”। इसका मतलब है कर्म की कुशलता ही योग है। भगवद्गीता का यह उपदेश आपको प्रेरित करता है कि आप जो भी कार्य करें पूरी दक्षता और निष्ठा से करें। मेरा मानना है कि आपकी महत्वकांक्षाएं राष्ट्र की अपेक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए। आपके कर्मयोगी भाव से समाज और राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ की जो संकल्पना संजोई है, उसका मूल आधार ही यही है कि भारत सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास की ओर आगे बढे़। इसमें युवाओं की भूमिका ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं से अर्जित तकनीकी ज्ञान का राष्ट्र के विकास में उपयोग करने पर जोर दिया। बागडे़ ने एमएनआईटी में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ विभाग की स्थापना की सराहना करते हुए कहा कि युवा टेक्नोक्रेट्स के लिए आने वाले समय में इससे महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे। यांत्रिक ज्ञान जरूरी है, परन्तु इस ज्ञान के साथ यदि नैतिक और मानवीय मूल्य जुड़े रहेंगे तभी हम सबका साथ, सबका विकास को सही मायने में सफलीभूत कर पाएंगे। युवा शक्ति राष्ट्र की बौद्धिक संपदा हैं। उन्हें देश के लोकतंत्र और बहुलता के आदर्शों को पूरी तरह से समझते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारतीय संस्कृति और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ के अंतर्गत सबके मंगल की कामना को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने सभी को राष्ट्र आराधना करते हुए देश और समाज की उन्नति के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने कहा कि प्रयास रहेगा कि राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय नैक रैंकिंग प्राप्त करें। पूरे देश में राज्य के विश्वविद्यालय गुणवत्ता की शिक्षा में अग्रणी रहें। उन्होंने संस्थान के आचार्यों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि के लिए कार्य करें। नई शिक्षा नीति की मंशा के अनुरूप विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करें जिससे वे रोजगार पाने के योग्य नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें।

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि युवा नए-नए विचारों के साथ समाज और राष्ट्र उत्थान के लिए कार्य करें। राज्य सरकार हर वर्ष 4 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष भी राज्य सरकार एक लाख युवाओं की भर्ती करने जा रही है। राज्य सरकार शीघ्र ही युवा नीति 2024 लाने जा रही है। विद्यार्थियों में दक्षता विकास के लिए राज्य सरकार स्टेट स्किल पॉलिसी भी लाने जा रही है। हमारी सरकार युवाओं को नए स्टार्ट अप प्रारंभ करने और युवा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए असीमित अवसर प्रदान कर रही है। एमएनआईटी के निदेशक प्रो. एनपी पाढ़ी ने संस्था का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि संस्थान को शोध और अनुसंधान में 15 पेटेंट मिले हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में एमएनआईटी विश्वभर में अग्रणी संस्थान बनेगा।

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