पंचायत चुनाव परिणामों को लेकर दिलीप-सुकांत में बहस
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं हासिल होने को लेकर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार में जुबानी जंग छिड़ी हुई है। रविवार को पंचायत चुनाव परिणामों को लेकर भाजपा की मंथन बैठक थी। इसमें मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। बंद कमरे के अंदर भाजपा के केंद्रीय प्रभारी सुनील बंसल, मंगल पांडे के साथ प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में पंचायत चुनाव परिणाम की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की गई थी। सूत्रों ने बताया है कि यहीं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने परिणामों को लेकर सवाल खड़ा किया। जब उन्हें बोलने का मौका मिला तो घोष ने कहा कि 2018 के पंचायत चुनाव में जिन सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी इस बार वे सीटें भी हाथ से निकल गईं।
हालांकि इसके जवाब में सुकांत मजूमदार भी चुप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि 2018 में पार्टी के पास एक भी ग्राम पंचायत नहीं थी लेकिन इस बार सौ से ज्यादा ग्राम पंचायतों पर पार्टी का कब्जा हुआ है। इसके बाद दिलीप घोष फिर बोल पड़े। उन्होंने कहा कि यह मीडिया को बरगलाने वाली बात है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 18 सीटें जीती और जंगलमहल, झाड़ग्राम सहित उत्तर बंगाल के क्षेत्रों में पार्टी का जनाधार बड़े पैमाने पर बढ़ा। 2021 के विधानसभा चुनाव में भी यह कायम रहा। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिन क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन किया था वहां भी इस बार पंचायत चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। हमारे जो भी मजबूत गढ़ थे जैसे उत्तर बंगाल और जनजातीय बहुल क्षेत्र वहां भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
दोनों शीर्ष नेताओं के इस तरह से भिड़ जाने की वजह से केंद्रीय नेता भी बहुत कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे। हालांकि बाद में दिलीप घोष भी शांत हो गए और पंचायत चुनाव परिणाम को लेकर घंटों तक मंथन होता रहा। दिलीप घोष ने बैठक में यह मुद्दा भी उठाया कि भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश नेतृत्व राज्य भर में पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से कटा हुआ है। कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है क्योंकि उन्हें नेताओं से मुलाकात का मौका तक नहीं मिल रहा है।